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यह छोटा सा फल पलट देंगा किसानो की किस्मत स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पोषक तत्वों से भी भरपूर जाने इसका नाम

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लीची की खेती के लिए बिहार देश में सबसे आगे है. यहां लीची की पैदावार राष्ट्रीय औसत से भी ज्यादा होती है. लीची का फल स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पोषक तत्वों से भी भरपूर होता है. लेकिन अच्छी पैदावार के लिए पेड़ों की देखभाल बहुत जरूरी है. खासकर फल तोड़ने के बाद लीची के पेड़ों की छंटाई और खाद प्रबंधन मुख्य रूप से करने चाहिए. आइए जानें पेड़ों की छंटाई कैसे करें और खाद कैसे डालें.

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1. फल देने वाले लीची के पेड़ों की छंटाई

आप जानते हैं कि लीची के फल पेड़ों के बाहरी हिस्से में ही लगते हैं. इसलिए छंटाई करके पेड़ को छाते जैसा आकार देना चाहिए. इससे ज्यादा फल लग पाएंगे. फल तोड़ने के बाद पेड़ों पर नई टहनियाँ निकलती हैं, जिन पर फरवरी के महीने में फूल आते हैं. अगर फल तोड़ते समय गुच्छों के साथ 15-20 सेंटीमीटर टहनियां भी काट ली जाएं, तो जुलाई-अगस्त में उन टहनियों से मजबूत और स्वस्थ टहनियाँ निकलती हैं जिन पर अच्छा फल लगता है. इसके अलावा, पेड़ की कमजोर, सूखी और जो टहनियाँ फल नहीं दे रहीं, उन्हें जमीन से निकलने वाली जगह से ही काट देना चाहिए. इससे पेड़ की दूसरी टहनियों में कीड़े और बीमारी का फैलाव कम हो जाता है. काटने के बाद पेड़ों पर कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का लेप लगाने से किसी भी तरह का इंफेक्शन नहीं होता है. छंटाई के बाद पौधों की अच्छी देखभाल, खाद और उर्वरक का इस्तेमाल और पेड़ों के नीचे की निराई-गुड़ाई करने से पौधों में अच्छी टहनियाँ निकलती हैं और फल भी ज्यादा लगते हैं.

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2. छोटे पौधों की छंटाई

छोटे लीची के पौधों में छंटाई का मुख्य उद्देश्य पेड़ की संरचना को मजबूत करना होता है. ताकि पेड़ लंबे समय तक फल दे सकें. शुरुआती 3-4 सालों तक पौधे के मुख्य तने से निकलने वाली अनावश्यक टहनियों को हटाते रहने से पेड़ का मुख्य तना मजबूत होता है और बीच में दूसरी फसलें भी उगाई जा सकती हैं. जमीन से करीब 1 मीटर की ऊंचाई पर चारों दिशाओं में 3-4 मुख्य टहनियाँ रखने से पेड़ की संरचना मजबूत होती है और फल भी अच्छे से लगते हैं. समय-समय पर कैंची से ऊपर की तरफ सीधी बढ़ने वाली टहनियों को काटते रहना चाहिए.

फल तोड़ने के बाद खाद और उर्वरक का प्रयोग

अगर आपका लीची का पेड़ 15 साल या उससे ज्यादा का है, तो पेड़ के मुख्य तने से 2 मीटर की दूरी पर पौधे के चारों ओर गड्ढा खोदकर उसमें 500-550 ग्राम डाई अमोनियम फॉस्फेट, 850 ग्राम यूरिया, 750 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश और 25 किलो अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद डालें. वहीं, अगर आपका पेड़ 15 साल से कम उम्र का है, तो खाद और उर्वरक की बताई गई मात्रा को 15 से भाग दें, फिर उस नंबर को पेड़ की उम्र से गुणा करें. ये उस पेड़ के लिए खाद और उर्वरक की मात्रा होगी. जिन बगानों में जिंक की कमी के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, वहां सितंबर के महीने में अन्य खादों के साथ 150-200 ग्राम जिंक सल्फेट प्रति पेड़ देने से फायदा होता है.

jitu

नमस्कार मेरा नाम जितु देशमुख है मैं 2 वर्षो से डिजिटल मीडिया में कार्यरत हूँ. ऑटोमोबाइल, मोबाइल और किसान समाचार में विशेष रूचि है दुनिया में हो रही हलचल को सत्यता और सटीकता से आप तक पहुंचाना।

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