खेतों के आसपास आपने कई पेड़ देखे होंगे, उन्हीं में से एक है शीशम का पेड़। इसे अंग्रेजी में इंडियन रोजवुड (Indian Rosewood) कहते हैं. शीशम की लकड़ी का इस्तेमाल फर्नीचर बनाने में किया जाता है. यह लकड़ी मजबूत मानी जाती है और इसमें दीमक नहीं लगती. शीशम की लकड़ी से बना फर्नीचर सालों साल चल सकता है. लेकिन सिर्फ लकड़ी ही नहीं, बल्कि शीशम के पत्ते भी कमाल के होते हैं. इन पत्तों के अर्क में औषधीय गुण होते हैं और इनका इस्तेमाल कई आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता रहा है. आज हम आपको बताएंगे कि शीशम के पत्तों के फायदे क्या हैं?
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अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (NCBI) की रिपोर्ट के अनुसार, शीशम के पत्तों का इस्तेमाल गले में खराश, पेचिश, सिफलिस और सूजाक के इलाज के लिए किया जाता रहा है. साथ ही, शीशम के पत्तों का अर्क खून को साफ करने में भी कारगर माना जाता है. ये पत्ते सिरदर्द, ब्रोंकाइटिस, सूजन, संक्रमण, हर्निया और त्वचा रोगों में भी फायदेमंद माने गए हैं. उबले हुए शीशम के पत्तों के काढ़े से बाल धोने से डैंड्रफ दूर होता है और बाल लंबे होते हैं. हालांकि, इनका इस्तेमाल बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं करना चाहिए.
चूहों पर किए गए एक अध्ययन में, शीशम के पत्तों के अर्क में दर्द निवारक, बुखार कम करने वाला, मधुमेह रोधी, सूजन कम करने वाला और दस्त रोकने वाला गुण पाए गए हैं. वहीं, शीशम की छाल को दर्द कम करने वाला, एंटी-ऑक्सीडेंट और शुक्राणु नाशक बताया गया है. शीशम के पत्तों के अर्क का इस्तेमाल इमारतों में दीमक नियंत्रण के लिए कृत्रिम कीटनाशकों के विकल्प के रूप में किया जा सकता है. पिछले अध्ययनों में, शीशम के पत्तों और छाल में दर्द कम करने वाले गुण पाए गए हैं. शीशम के पत्तों का अर्क तंत्रिका तंत्र के लिए भी फायदेमंद माना जाता है.
आयुर्वेद विशेषज्ञों के अनुसार, शीशम के पत्तों का इस्तेमाल खून की कमी दूर करने के लिए किया जा सकता है. वहीं, शीशम के बीजों का इस्तेमाल पेट के अल्सर को ठीक करने में किया जाता है. त्वचा पर खुजली, रूखापन और जलन को दूर करने के लिए शीशम के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है. देखा जाए तो शीशम के हर हिस्से का इस्तेमाल किसी न किसी रूप में शरीर के लिए किया जा सकता है. यही कारण है कि इस पेड़ को वरदान माना जा सकता है.