कड़कनाथ पोल्ट्री फार्म : जिस कड़कनाथ को अभी तक लोग मुर्गी और मुर्गा कहा करते थे। लेकिन अब इसी कड़कनाथ को काला सोना कहने लगे। कड़कनाथ की बाजार में बढ़ती डिमांड और मिल रही मुंह मांगी कीमत की वजह से यह काला सोना कहलाने लगा।आज कड़कनाथ चिकन पोल्ट्री व्यवसाय करने वाले किसानों की पहली पसंद बन गया है. मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले से आने वाली यह प्रजाति आज पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो रही है। कड़कनाथ का काला रंग आकर्षण का केंद्र है, लेकिन इसके मांस और अंडों में मौजूद औषधीय गुण भी बढ़ती मांग के लिए जिम्मेदार हैं. एक सामान्य नस्ल के पोल्ट्री फार्म को लाभ देने में कई साल लग सकते हैं, लेकिन अगर उचित प्रबंधन किया जाए तो कड़कनाथ फार्म एक साल में ही अच्छी कमाई करने लगता है। अब किसानों के साथ-साथ पेशेवर युवा भी कड़कनाथ कीटपालन से जुड़ रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान नौकरी छूटने के बाद विपिन शिवहरे ने कड़कनाथ पोल्ट्री फार्म भी खोला।
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कड़कनाथ को पालने वाले लोग आज मालामाल हो रहे हैं। झाबुआ के लोगों की स्थिति ही बदल गई। वही कड़कनाथ की वहज से मध्य प्रदेश के झाबुआ को देश के लोगों के साथ ही विदेशों में भी जानने लगे है। तभी तो देश के बड़े-बड़े पोल्ट्री फार्मो में कड़कनाथ का पालन हो रहा है। आइए जाने कड़कनाथ पालन से जुड़े हुए सभी जानकारी। जिसे आप भी आसानी से शुरू कर सकते हैं। आपदा को अवसर में बदलते हुए 2 लाख रुपये की लागत से 200 मुर्गियां और 20 मुर्गे खरीदे। फार्म का विस्तार करने के लिए उन्होंने एक हैचरी भी स्थापित की और आज उनके फार्म पर 12,000 कड़कनाथ मुर्गे हैं, जो सालाना लाखों कमा रहे हैं। इस बीच विपिन शिवहरे अपने फार्म के कड़कनाथ मुर्गे बहरीन को एक्सपोर्ट भी करते हैं। वहां कड़कनाथ मुर्गे को बहुत पसंद किया जाता है. विपिन शिवहरे कड़कनाथ को विदेशों में निर्यात कर 70 हजार रुपए कमाते हैं।
संघर्ष से सफलता
विपिन शिवहरे ने अपने करियर की शुरुआत छोटी-छोटी नौकरियों से की थी। पहली नौकरी 1,600 रुपये, दूसरी नौकरी 9,000 रुपये और आखिरी नौकरी 16,000 रुपये प्रति माह थी। इसी नौकरी से परिवार का गुजारा चलता था। भाई-बहन की शादी हो गई, लेकिन लॉकडाउन में कमाई का जरिया ही छिन गया।

आपके लिए है ये जरुरी न्यूज़ आप भी कमा सकते हो लाखो रूपए ,वह कोरोना का दौर था, ऐसे में लोग अपनी सेहत के लिए बेहतरीन सप्लीमेंट की तलाश में थे। शोध के बाद पता चला कि कड़कनाथ की मांग काफी बढ़ रही है और इसके औषधीय गुणों के कारण लोग इसे काफी पसंद कर रहे हैं। इसकी कीमत भी ब्रायलर चिकन के मुकाबले ज्यादा थी।
कोरोना ने नौकरी छीनी तो कड़कनाथ ने चमकाई किस्मत, आज मुर्गा पालन से घर बैठे कमा रहे लाखों रुपए
कड़कनाथ मुर्गे के संबंध में बताया गया है कि यह बहुत ही खास किस्म की मुर्गियों की प्रजाति है। कड़कनाथ मुर्गे का मांस, खून, चोंच, अंडा, शरीर सब कुछ काला होता है। इसके बारे में और जानकारी गूगल, यूट्यूब से जुटाई। कड़कनाथ पालने का मन बनाया और 2 लाख रुपए कर्ज लेकर अपना पोल्ट्री फार्म खोला। कड़कनाथ का पालन मध्य प्रदेश के झाबुआ और धार जिलों में आदिवासी समुदायों द्वारा किया जाता है। विपिन शिवहरे ने भी वहां से मुर्गियां खरीदीं।
एक वीडियो से बदली किस्मत
हम आपको बता दे की कड़कनाथ पोल्ट्री फार्म बेशक ज्यादा मुनाफा देता है, लेकिन इन काले चूजों को खास देखभाल की जरूरत होती है। एक खास तरह का फीड, साफ-सफाई, देखभाल, निगरानी भी बराबर रखनी होती है। अब विपिन शिवहरे ने पोल्ट्री फार्म तो खोल लिया है, लेकिन वह मुर्गियों के चारे की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं।
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पैसे उधार लेकर इन चूजों का पालन पोषण किया। विपिन सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते थे. एक दिन उसने अपने पोल्ट्री फार्म का वीडियो यूट्यूब पर डाल दिया। इसके बाद चूजों का पहला ऑर्डर ओडिशा से आया, जिसके लिए एडवांस पेमेंट मिला था।
40,000 प्रति माह आय
हम आपको बता दे की विपिन शिवहरे का कहना है कि कड़कनाथ का चूजा 4 से 6 महीने में ही 1.5 किलो का हो जाता है, जिसे बाजार में आसानी से निकाला जा सकता है। एक चूजे की कीमत 500 रुपये है, जबकि हर महीने 3,000 चूजों की बिक्री होती है। इस तरह हर महीने 40,000 रुपए की आमदनी हो जाती है। हाल ही में विपिन शिवहरे ने भी अपनी हैचरी का रजिस्ट्रेशन करवाया है।