Dairy Milk:भारत दुनिया में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने वाला देश है, लेकिन प्रति जानवर दूध उत्पादन के मामले में हम काफी पीछे हैं। इसकी कई वजह हैं, जिनमें सबसे अहम है पशुओं का आहार।
पशुओं को नहीं मिल रहा भरपूर पोषण
हमारे देश में पशुओं को उनकी जरूरत के हिसाब से हरा-सूखा चारा और खनिज पदार्थ नहीं मिल पाते हैं। पशुपालक दूध उत्पादन बढ़ाने पर तो ध्यान देते हैं, लेकिन उनके खानपान पर उतना ध्यान नहीं देते। जानकारों का कहना है कि महंगे चारे की वजह से यह व्यवस्था बिगड़ती जा रही है। पशुओं को अच्छा चारा न मिलने से दूध उत्पादन घट रहा है और चारे व खनिज पदार्थों की लागत बढ़ने से डेयरी उत्पादों के दाम भी बढ़ रहे हैं।
आंकड़ों की जुबानी कहानी
महाराष्ट्र के डेयरी पोषण विशेषज्ञ डॉ. दिनेश भोंसले ने बताया कि साल 2023 में देश में 23.1 करोड़ टन दूध का उत्पादन हुआ था। इसमें भैंस का दूध 55 फीसदी, गाय का 45 फीसदी और बकरी का 3 फीसदी शामिल है। हमारे देश में करीब 30 करोड़ पशु हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 10 करोड़ पशु ही दूध देते हैं। इसकी वजह ये है कि हमारा पूरा ध्यान दूध उत्पादन बढ़ाने पर है, पर उतना ध्यान पशुओं के खाने पर नहीं दिया जाता। गाय-भैंस को रोजाना कम से कम 10 किलो हरा चारा और 5 किलो सूखा चारा खिलाना चाहिए। इतना ही नहीं, अगर आपकी गाय-भैंस 10 लीटर दूध देती है, तो उसे कम से कम 5 किलो मिनरल मिक्सचर भी खिलाना चाहिए।
छोटे पशुपालकों की परेशानी
भारतीय डेयरी संघ के अध्यक्ष और अमूल के पूर्व एमडी आरएस सोढ़ी का कहना है कि हमारे देश में कई लोग 3-4 गाय या भैंस पालते हैं। ऐसे में उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा चारा और खनिज पदार्थ खरीदने में ही चला जाता है। मक्का और सोयाबीन के बढ़ते दाम किसी से छिपे नहीं हैं। अगर इन्हें खाने में न दिया जाए तो पशु दूध देने के साथ अच्छा दूध भी नहीं देगा। यानी दूध में कमी आएगी।
समाधान के लिए जरूरी कदम
पशुओं को सीजन के हिसाब से सिर्फ हरे चारे पर निर्भर रखना गलत है। पोषण विशेषज्ञों के अनुसार, ज्यादा और अच्छा दूध देने के लिए पशु को हरे और सूखे चारे समेत मिनरल पदार्थों की मात्रा उसकी दूध देने की क्षमता के हिसाब से तय की जानी चाहिए। साथ ही दूध उत्पादन बढ़ाकर ही दूध की कीमतों को कम किया जा सकता है।