Milk Business Increase: दूध के व्यापर में होगी बढ़ोतरी, इस जबरदस्त टेक्नोलॉजी से कम होगा पशुओ की बीमारी का खर्चा, डेयरी फार्म दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए नई-नई तकनीकें बढ़ा रहे हैं. इसी के तहत राष्ट्रीय डेयरी बोर्ड कटिंग एज टेक्नॉलॉजी के जरिए दुग्ध उत्पादन बढ़ाएगी. इस तकनीक के जरिए पशुपालन के लिए मशीन लर्निंग, आईओटी समाधान हासिल होगा.
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राष्ट्रीय डेयरी बोर्ड ने लिया बड़ा फैसला अब नहीं होगी दूध की कमी National Dairy Board has taken a big decision, now there will be no shortage of milk
देश में बड़ी संख्या में किसान पशुपालन के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. आय के लिए वे दुग्ध उत्पादन पर काफी ज्यादा निर्भर हैं. हालांकि, इस साल लंपी वायरस जैसी बीमारियों के चलते पशुपालकों को भारी नुकसान हुआ है. दुग्ध उत्पादन में भी कमी आई है. ऐसे में पशुपालकों के हित में राष्ट्रीय डेयरी बोर्ड ने एक बड़ा फैसला लिया है. NDDB ने अमेरिका की एक कंपनी के साथ समझौता किया है. इससे पशुपालकों को एक ऐसी तकनीक हासिल होगी, जिससे वे दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ दुधारू पशुओं की बीमारी के बारे में भी पता लगा सकेंगे.

देखे कौनसी नयी टेक्नोलॉजी हुई लांच See which new technology was launched
डेयरी फार्म दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए नई-नई तकनीकें बढ़ा रहे हैं. इसी के तहत राष्ट्रीय डेयरी बोर्ड कटिंग एज टेक्नॉलॉजी के जरिए दुग्ध उत्पादन बढ़ाएगी. इस तकनीक के जरिए पशुपालन के लिए मशीन लर्निंग, आईओटी समाधान हासिल होगा. दरअसल ये पशुओं के प्रबंधन के लिए सेंसर आधारित प्रणाली है. इस प्रणाली में एक सेंसर युक्त कॉलर होता है, जो गाय के गर्दन पर लगाया जाता है. इसके जरिए पशुओं की जुगाली, उनके शरीर के तापमान और उनकी गतिविधियों को रिकॉर्ड किया जा सकता है. इस सेंसर युक्त कॉलर को एंटीना से जोड़ा जाएगा. इस एंटीने के मदद से एक सॉफ्टवेयर के जरिए पशुओं पर निगरानी रखी जाएगी. बता दें कि विकसित देशों में इस तरह की टेक्नोलॉजी का उपयोग 15 से 20 सालों से हो रहा है.

इस प्रणाली का होगा उपयोग This system will be used
इस प्रणाली के माध्यम से पशुओं के गर्मी में आने और उनके बीमार होने की स्थिति की जानकारी भी मिल जाती है. इससे उनके प्रजनन और प्रबंधन का समय तय किया जा सकता है. बता दें कि पशुओं के शरीर में होने वाले बदलावों से पता लगा सकेंगे वह कितने वक्त में बीमार हो सकता है. पहले ही जानकारी मिलने की स्थिति में जरूरी कदम उठाकर हम पशुओं को बीमार होने से बचा सकेंगे. साथ ही ये भी पता लगा सकेंगे कि दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए पशुओं को किस तरह के पोषण की जरूरत है