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इस किसान भाई के नए तकनीक से करे फसल की खेती इस तरीके के खेती से मुनाफा भी होगा डबल जाने पूरी डिटेल

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इस समय किसानों के खेतों में मूंगफली, सोयाबीन और बाजरा जैसी फसलें लहरा रही हैं। अच्छी बारिश के कारण किसान अच्छी पैदावार की उम्मीद कर रहे हैं। ऐसे में जानकार किसानों का कहना है कि पारंपरिक खेती करने वाले किसानों को अच्छी पैदावार के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि उनकी फसलें किसी बीमारी का शिकार न बनें।

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अनुभवी किसान हनुमान सिंह ने बताया कि बारिश की संभावना को देखते हुए किसान अभी खेतों में किसी भी तरह का खाद का छिड़काव न करें। साथ ही कुछ समय तक खड़ी फसलों और सब्जी की नर्सरी में सही प्रबंधन रखें। सबसे जरूरी बात यह है कि दालों की फसलों और सब्जी की नर्सरी में पानी की निकासी की उचित व्यवस्था करें। सभी खरीफ फसलों में जरूरत के हिसाब से निराई-गुड़ाई कर घास-फूस को नियंत्रित करें।

अगर जून में बाजरा की बुवाई की गई है तो बुवाई के 25 से 30 दिन बाद 20 किलो नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर दें। इसके अलावा करेले की उन्नत किस्म पुसा नवीन, पुसा समृद्धि, कड़वे करेले की पुसा विशेष, पुसा दो मौसमी, सीताफल की पुसा विश्वास, पुसा विकास, तोरई की पुसा स्नेह की बुवाई लाइन पर करें और बेल को सहारे पर चढ़ाएं। इस मौसम में भिंडी, मिर्च और बेल वाली फसलों में माइट्स, जेसीड और होपर पर लगातार नजर रखें। ज्यादा कीड़े लगने पर इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एससी / 0.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर आसमान साफ होने पर छिड़काव करें।

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खड़ी खरीफ फसल में सफेद कीड़े के नियंत्रण के लिए क्विनालफॉस 25 ईसी की दर से 4 लीटर प्रति हेक्टेयर का प्रयोग कर हल्की सिंचाई करें। सोयाबीन में इमेजैथापीर (परस्यूट, लगाम) प्रति एकड़ सक्रिय तत्व 30 (ग्राम) और कंपोजिशन 300 (मिलीलीटर) की मात्रा में बुवाई के 15-20 दिन बाद डालें। इससे संवा और चौड़ी पत्ती वाले गोखरू, लूनक छोटी और बड़ी दूधी, गाजर घास, अमरनाथ, जंगली जूट, लेसवा, कौआकेनी आदि संकरे पत्ते वाले घास नियंत्रित होते हैं।

मक्का में 2,4-डी (ग्रीन वीड, वीडमार, नॉकवीड) टाफासिड, अरबी ओक्स कॉम्बी, रागार्डन-48 का प्रयोग बुवाई के 25-30 दिन बाद करें। इससे मुठा, जलकुम्भी, आलूभां, क्लोवर, पीले फूल वाली घास, भंगरा, कौआकेनी, बिलोंदा, चार पत्ती, नरजवन, रक्सी, बनमिर्ची, गोखरू, लौंग घास आदि चौड़ी पत्ती वाले घास खत्म हो जाएंगे। दवा डालने से पहले खेत में जमा पानी निकाल दें।

मूंगफली में विवाज़ालोफॉप एथिल (टारगा-सुपर) प्रति एकड़ सक्रिय तत्व 16-20 (ग्राम) और कंपोजिशन 320-400 (मिलीलीटर) की मात्रा में बुवाई के 15-20 दिन बाद डालें। इससे संकरे पत्ते वाले घास (सावन, मूस घास, कांस, दूब) नियंत्रित होते हैं। मूंगफली में काला दाने की बीमारी के नियंत्रण के लिए टेबुकोनाज़ोल 25 ईसी की दर से 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें।

jitu

नमस्कार मेरा नाम जितु देशमुख है मैं 2 वर्षो से डिजिटल मीडिया में कार्यरत हूँ. ऑटोमोबाइल, मोबाइल और किसान समाचार में विशेष रूचि है दुनिया में हो रही हलचल को सत्यता और सटीकता से आप तक पहुंचाना।

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