गन्ने की ये टॉप उन्नत किस्मे देंगी बम्पर उत्पादन, एक हेक्टेयर में होगी 81 टन तक की उपज, जाने पूरी जानकारी। अभी किसान परंपरागत खेती छोड़ उन्नत तरीके से खेती कर रहे है गन्ना की फसल भारत के अधिकतर क्षेत्रों में की जाती है. दूसरी कई फसलों की तरह नकदी फसल कही जाने वाली गन्ना को भी रोगों से जूझना पड़ता है। लेकिन अगर किसान सही किस्मों का चुनाव करें तो भारी नुकसान से बच सकते हैं।
आपको बतादे देश के वैज्ञानिकों ने गन्ने की कई ऐसी किस्म इजाद की है जो ज्यादा उपज तो देती ही है, साथ विपरीत मौसम और रोगों से लड़ने में भी सक्षम होती है. ऐसे में किसान बुवाई के समय इन उन्नत किस्मों का चयन कर सकते हैं। चलिए इसके बारे में डिटेल्स में जानते है।
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गन्ने की अधिक उत्पादन देने वाली टॉप किस्मो के बारे में किस्मे
को. 0238: इसक किस्म की अवधि: 12-14 महीने उपज: 81 टन प्रति हेक्टेयर विशेषता: गुड़ हल्के पीले रंग के साथ ए-1 गुणवत्ता वाला है. यह किस्म लाल सड़न रोगजनक की प्रचलित नस्ल की संतुलित प्रतिरोधी है. यह किस्म कहीं तेज गति से खेत में फैलती है और इसलिए किसानों और चीनी उद्योग दोनों द्वारा इसे पसंद किया जाता है.
को. 86032: इस किस्म की अवधि (माह) : 12-14 उपज (टन/हे.): 110-120 शक्कर (प्रतिशत में) : 22-24 प्रमुख विशेषताए : उत्तम गुड़, अधिक शक्कर, कम गिरना, जडी गन्ने के लिए उपयुक्त, पाईरिल्ला व अग्रतना छेदक का कम प्रकोप, लाल सड़न कंडवा उक्ठा प्रतिरोधी।
को.जे.एन.86-600: अवधि (माह): 12-14 उपज (टन/हे.): 110-130 शक्कर (प्रतिशत में): 22-23 प्रमुख विशेषताए : उत्तम गुड़, अधिक शक्कर, पाईरिल्ला व अग्रतना छेदक का कम प्रकोप, लाल सड़न कंडवा उक्ठा प्रतिरोधी.
को.से 13452: यह मध्यम देर से पकने वाला गन्ना है. 86 से 95 टन प्रति हेक्टेयर इसकी पैदावार होगी. इसमें व्यावसायिक शर्करा उपज 12.08 पाया गया है.
को.से 10239: यह मध्यम देर से पकने वाला गन्ना है. जल भराव की स्थिति में इसकी पैदावार 63 से 79 टन प्रति हेक्टेयर होती है. ऊसर या बंजर जमीन पर इसकी पैदावार 61 से 70 टन पाई गई है. यही नहीं, खास बात यह है कि इन तीनों ही किस्मों में कीट और रोगों के प्रकोप शून्य है.