Thursday, December 7, 2023
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गेहूं की ये टॉप क्लास किस्मे देंगी प्रति हेक्टेयर 65 से 75 क्विंटल पैदावार, कम लागत में किसानो को बना देंगी मालामाल, जाने पूरी जानकारी

गेहूं की ये टॉप क्लास किस्मे देंगी प्रति हेक्टेयर 65 से 75 क्विंटल पैदावार, कम लागत में किसानो को बना देंगी मालामाल, जाने पूरी जानकारी, अब आपकी बारी… पढ़े-लिखे लोग भी खेती की और ध्यान दे रहे है क्योकि खेती में काफी ज्यादा फायदा होता है। ऐसे में आप भी खेती करते है या करना चाहते है तो हम आपको लिए लेकर आये है गेहूँ की उन्नत किस्मे जो देती है बंपर पैदावार। जिससे कि किसान आसानी से मोटा पैसा कमा सकते है। हर किसान यही चाहता है कि उसकी फसल अच्छी हो और ज्यादा उत्पादन हो जिससे की वह ज्यादा पैसे कमा सके लेकिन यह तब होगा जब आपके पास अच्छी किस्म की फसल की बुवाई हो। ऐसे ही हम ऎसी किस्मे लेकर आये है जिसका उत्पादन पिछले साल किसानो को मोटी रकम देकर गया है। आइये जानते है कौनसी है ये किस्मे।।

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गेहूँ की ये किस्मे देंगी अधिक उत्पादन

  • पूसा मंगल Hi- 8713
  • पूसा पोषण Hi – 8663
  • पूसा तेजस- 8759
  • पूसा मालवी और पूसा अनमोल

पूसा मंगल Hi- 8713 गेहूं किस्म से देंगी अधिक पैदावार

पूसा मंगल Hi- 8713 गेहू की एक उन्नत किस्म है जिसे कठिया गेहूँ किस्म कहा गया है। इसका दाम मार्केट में अन्य गेहू के बदले ज्यादा मिलता है। इस किस्म का दाना मोटा बड़ा और चमक मे कम दिखता है। जिसका उपयोग दलिया, सूजी व पास्ता मे किया जाता है। पूसा मंगल Hi- 8713 गेहू की एक उन्नत किस्म के पौधे की ऊंचाई 2.5- 3 फीट तक रहती है एवं इसका बीज दर / बीज की मात्रा 70 kg प्रति एकड़ है। इसकी बुवाई अक्टूबर से नवंबर में की जाती है। इसे तीन से चार बार सिंचाई की आवश्यकता रहती है। इसके पकने की अवधि 130 से 140 दिन होती है। यह गेहू की किस्म प्रति एकड़ 32 क्विंटल से अधिक उत्पादन की क्षमता रखता है।

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पूसा पोषण Hi – 8663 गेहूं किस्म की मार्केट में काफी डिमांड है

पूसा पोषण Hi – 8663 की बात करे तो यह किस्म सबसे ज्यादा उत्पादन देने में सबसे आगे है। इसे गोल्डेन या प्रीमियम गेहूं भी कहा जाता है। यह 95.32 किंवटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देने में सक्षम है ऐसा बताया जा रहा है। HI-8663 एक जीनोटाइप विशेषता, उच्च गुणवत्ता और अधिक उत्पादकता वाला गेहूं का बीज है। पूसा पोषण Hi – 8663 में एक पोषक तत्व की मात्रा ज्यादा पायी जाती है जिसकी वजह से इसकी मार्केट में काफी डिमांड है। इस गेहूं से रोटी के अलावा सूजी और पास्ता भी बनाया जाता है और इसमें प्रोटान की मात्रा काफी ज्यादा पाई जाती है। इस किस्म की बोनी के लिए नवम्बर का महीना सबसे उपयुक्त माना गया है। यह किस्म गर्मी को सहन कर सकती है। यह 120-130 दिन में पककर तैयार हो जाती है।

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पूसा तेजस- 8759 गेहू किस्म के बारे में डिटेल्स

पूसा तेजस ‘HI-8759’ किस्म को इंदौर कृषि अनुसंधान केन्द्र ने तैयार किया है। यह भी एक कठिया किस्म का गेंहू है। कठिया या ड्यूरम गेहूं की किस्म एचआई 8759 को उच्च उर्वरता व सिंचित दशाओं के अंतर्गत मध्य क्षेत्र में खेती हेतु पहचाना गया है। यह किस्म ‘ब्लास्ट’ रोग, गेरुआ रोग, कंड़वा, करनाल बंट रोगों से प्रतिरोधी है। इस किस्म की पत्ती चौड़ी, मध्यमवर्गीय, चिकनी और सीधी होती है। इसके पौधे में 10 से 12 कल्ले होते हैं। यह किस्म ज्यादा पौष्टिक है। इसमें आयरन, जिंक, महत्वपूर्ण खनिज अधिक मात्रा में मौजूद हैं। इससे रोटी के साथ नूडल्स, पास्ता और मैकरॉनी जैसे खाद्य पदार्थ बनाने के लिए उत्तम हैं।इस किस्म को कम पानी की जरूरत रहती है। इस किस्म की बुवाई के 75 दिनों बाद बालियां निकल आतीं है और 115 से 120 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। प्रति 65 से 75 हैक्टेयर उपज मिल जाती है।

पूसा मालवी (एचआई 8737) गेहूं किस्म देंगी बंपर उत्पादन

मालवी गेहूं का उपयोग खेती में करना कई मायनों मे महत्वपूर्ण है यह गेहूं की अधिक उत्पादन देने वाली किस्म है, यह किस्म मृदा में सूक्ष्म पोषक तत्वों की भरपाई करती है, मालवी गेहूं से प्रोटीन, विटामिन से भरपूर विभिन्न पोष्टिक व्यंजन, दलिया, बाटी, सूजी एवं पोषण प्रदान करने वाले अनेक व्यंजन बनाये जा सकते हैं। गेंहु की यह एचआई 8737 (पूसा अनमोल) किस्म 115 से 120 दिन मे पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इस किस्म को रोटी के साथ-साथ दलिया या सूजी, पास्ता बनाने में उपयोग किया जाता है। यह किस्म मालवी गेहूं का अधिक उत्पादन लगभग 65-70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर देने वाली समय पर बुवाई हेतु एवं सिंचित क्षेत्र के लिए वरदान साबित हो रही है।

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