दिल्ली में प्रदूषण की रोकथाम के लिए 1 अक्टूबर से ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (ग्रैप) लागू होने वाला है। दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप एक्शन प्लान 15 दिन पहले ही लागू किया जा रहा है. इसके चलते वायु प्रदूषण पर रोक लगाने की तैयारी है.सर्दियों में वायु प्रदूषण पर काबू करने के लिए दिल्ली एनसीआर (Delhi-Ncr) में प्लानिंग तैयार कर ली गई है और इस बार 15 दिन पहले ही ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान यानी ग्रैप लागू कर दिया जाएगा. यह ग्रैप मुख्य तौर पर 15 अक्टूबर से 15 फरवरी तक रहता है लेकिन इस बार इसे 15 दिन पहले यानी 1 अक्टूबर से ही लागू किया जाएगा.
बनवा लें, हफ्तेभर के अंदर पीयूसी चेक कर नया सर्टिफिकेट
इस दौरान वाहनों के धुएं से होने वाले प्रदूषण को रोकने पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा। इसके लिए दिल्ली सरकार के ट्रांसपोर्ट विभाग ने भी कमर कस ली है। अगर आपने अपनी गाड़ी की प्रदूषण जांच नहीं करवाई है या आपके पास वैलिड पीयूसी नहीं हैं, तो हफ्तेभर के अंदर पीयूसी चेक कर नया सर्टिफिकेट बनवा लें, अन्यथा 1 तारीख से आपको भारी परेशानी झेलनी पड़ सकती है।इसके साथ ही इस बार ग्रैप के प्रावधानों में भी कुछ विशेष बदलाव किए गए हैं जिससे प्रदूषण पर लगाम लगाई जा सकते हैं.
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ट्रांसपोर्ट विभाग की टीमें ऐसी गाड़ियों को सड़कों पर चलने से रोकेंगी ,
ट्रांसपोर्ट विभाग के जॉइंट कमिश्नर (एनफोर्समेंट) नवलेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि जिन लोगों के पास वैध पीयूसी नहीं होगी, उनके 10-10 हजार रुपये के चालान काटे जाएंगे। इसके अलावा जिन्होंने अपनी 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियां अभी तक स्क्रैप नहीं करवाई हैं, उन्हें भी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ट्रांसपोर्ट विभाग की टीमें ऐसी गाड़ियों को सड़कों पर चलने से तो रोकेंगी ही, साथ ही सार्वजनिक पार्किंग स्थलों पर भी सरप्राइज चेकिंग करेंगी और अगर किसी ने अपनी गाड़ी पार्किंग में खड़ी कर रखी है, तो वहां से भी गाड़ी उठाकर सीधे स्क्रैप करने के लिए भेज दी जाएगी।
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मौसम के पूर्वानुमान के आधार पर प्रतबिंध से संबधित कदम उठाए जा रहे
दरअसल, पिछले साल तक पीएम 2.5 और पीएम 10 के एक विशेष स्तर पर पहुंचने पर ही एक्शन लिया जाता था लेकिनइस बार इसे काफी पहले ही लागू करने की तैयारी की गई हैं. इस बार मौसम के पूर्वानुमान के आधार पर प्रतबिंध से संबधित कदम उठाए जा रहे हैं. अनुमानों की बात करें तो इसमें मौसम की स्थिति, हवा की गति, पराली जलाने की संख्या और अन्य स्रोतों से निकलने वाले प्रदूषण के आधार पर तीन दिन पहले ही प्रदूषण का पूर्वानुमान होगा और फिर उस समय की स्थिति के आधार पर सभी फैसले लिए जाएं जिससे रियल टाइम में प्रदूषण के खिलाफ एक्शन लिया जा सके. .