Kheti News: ज्यादा पानी से ख़राब सोयाबीन की फसल पर इस खाद और कीटनाशक का प्रयोग करे, अत्यधिक पानी गिरने से सोयाबीन की फसल खराब हो सकती है, अगर आप चाहते है की फसल खराब न हो, तो यह जरूर जानकारी जानिए
ये भी पढ़िए – Bipasa Basu: शादी के 6 साल बाद पहली बार माँ बनेगी बिपासा बासु, बेबी बम्प की तस्वीरें शेयर कर पति करन जताया प्यार
मध्य प्रदेश सोयाबीन उत्पादन में देश में अग्रणी है, लेकिन हाल के वर्षों में मध्य प्रदेश में सोयाबीन के उत्पादन में भारी गिरावट आई है, जिसके मुख्य कारण प्रतिकूल मौसम की स्थिति हैं, जैसे अत्यधिक वर्षा या बहुत कम वर्षा। फसल अवधि। ये स्थितियां कीटों और बीमारियों को काफी हद तक बढ़ा देती हैं, नीचे इन प्रमुख कीटों और बीमारियों के बारे में जानकारी दी जा रही है और उनका प्रबंधन बताया जा रहा है। सोयाबीन के प्रमुख कीट रोग और उन्हें विस्तार से प्रबंधित करने का तरीका जानें
ज्यादा बारिश से ऐसे करे बचाव
इन दिनों खरीफ (सोयाबीन की खेती 2022 के लिए किटनाशक) की फसल खेतों में है। पिछले कई दिनों से लगातार बारिश हो रही है। इससे खेतों में पानी भर गया है। सोयाबीन, मूंग और उड़द खेतों में लगाए जाते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र उज्जैन के वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी एवं कृषि वैज्ञानिक डॉ. मुकेश सिंह ने कहा कि जिले में लगातार हो रही बारिश से खेतों में पानी भर गया है, जिससे सोयाबीन सड़ जाएगा और उसकी उपज कम हो जाएगी या बीज हल्के हो जाएंगे. फसल को नुकसान से बचाने के लिए किसान खेतों में पानी जमा न होने दें।
इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी दशा में खेतों में पानी पांच दिन से अधिक न रहे, जिससे फसल खराब न हो। अगर पांच दिनों से खेतों में पानी भरा है, अगर किसान जल निकासी की व्यवस्था नहीं कर पा रहा है तो तुरंत पानी निकाल दें. यूरिया या पानी में घुलनशील नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम का छिड़काव करें (सोयाबीन की खेती के लिए किटनाषक 2022)। जिससे फसल खराब होने से बच सके और अच्छी उपज प्राप्त की जा सके। डॉ. सिंह का कहना है कि अगर मौसम खुला तो खरीफ की फसल में कीट रोग बढ़ने की आशंका है. इसके लिए प्रोफेनोफोस, साइपरमेथ्रिन कीटनाशकों का प्रयोग खेत में करें ताकि कोई नुकसान न हो।
सोयाबीन की फसल पर नीले भृंगों का प्रकोप होता है, जो बीज और छोटे पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं, इल्लियां, तना मक्खियां और करधनी भृंग आदि खाते हैं। आक्रमण से उपज में 5 से 50 प्रतिशत की कमी आती है। इन कीटों को नियंत्रित करने के उपाय निम्नलिखित हैं:
किट नियंत्रण का तरीका
सोयाबीन में कई प्रकार की सुंडी छोटी फलियों और फलों को खाकर नष्ट कर देती है (सोयाबीन की खेती के लिए किटनाषक 2022)। हरी सुंडी की एक प्रजाति, जिसका सिर पतला और पीठ चौड़ी होती है, सोयाबीन के फूल और फलियाँ खाती है, जिससे पौधा फली रहित हो जाता है। फसल बंजर होने लगती है। चूंकि फसल पर तना मक्खियों, राउंडवॉर्म, महो ग्रीन कैटरपिलर द्वारा लगभग एक साथ हमला किया जाता है
सोयाबीन में रोग नियंत्रण कैसे करे
विभिन्न प्रकार के धब्बेदार कवक (सोयाबीन की खेती 2022 के लिए किटनाशक) से होने वाले रोगों को नियंत्रित करने के लिए कार्बेन्डाजिम 50 WP या थियोफानेट मिथाइल 70 WP 0.05% से 1 ग्राम प्रति लीटर पानी का छिड़काव करना चाहिए। पहला छिड़काव 30-35 दिन की अवस्था में तथा दूसरा छिड़काव 40-45 दिन की अवस्था में करना चाहिए। बैक्टीरियल मूसल नामक बीमारी को नियंत्रित करने के लिए 200 पीपीएम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन। 200 मिलीग्राम; दवा के घोल के मिश्रण का प्रति लीटर पानी और कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 0.2 (2 ग्राम प्रति लीटर) पानी के घोल का छिड़काव करना चाहिए। इराक के लिए 10 लीटर पानी में 1 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन और 20 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का घोल इस्तेमाल किया जा सकता है।
वायरस जनित पीला मोज़ेक वायरस रोग अक्सर एफिड्स, सफेद मक्खियों, थ्रिप्स आदि द्वारा फैलते हैं। इसलिए, केवल रोग मुक्त स्वस्थ बीजों का ही उपयोग किया जाना चाहिए। थियोमेथाक्सोन 70 डब्ल्यू.वी. कीड़ों और रोग पैदा करने वाले कीड़ों के लिए (सोयाबीन की खेती 2022 के लिए किटनाशक)। 3 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से उपचार करें और 30 दिनों के अंतराल पर दोहराएं। रोगग्रस्त पौधों को खेत से हटा दें। एथोफेनप्रैक्स 10 ईसी 1.0 लीटर प्रति हेक्टेयर थायोमेथेजम 25 डब्ल्यूजी 1000 ग्राम प्रति हेक्टेयर।
सोयाबीन के प्रमुख कीट व रोग तथा उनका प्रबंधन
तना मक्खी (मिलेनोग्रोमाइजा सोजे)
क्षति का प्रकार – यह कीट पत्तियो पर अण्डे देता है फिर मैगट के बाहर आने के बाद पत्तियों (Kitnashak for Soyabean Cultivation 2022) से रैंगता हुआ तने को भेदता है। सक्रंमित तने में लाल धारिया मैगट और प्यूपा के साथ दिखाई देती है। यह तने से जड़ क्षेत्र तक जाकर पौधा मार देता है।
कीट प्रबंधन – नत्रजन उर्वरकों का प्रयोग कम करें।
- बीज दर अनुमोदित से ज्यादा न रखे।
- लैम्बडासायहैलोथरीन 4-9 सी .एस. का 300 एम. एल. प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
2. पत्ता मोड़क (लेप्रोसिमा इंडिकेटा)
क्षति का प्रकार – लार्वा पत्तियों (Kitnashak for Soyabean Cultivation 2022) को खाता है।
कीट प्रबंधन – प्रोपेनाफास 40% ई.सी. + साइपरमैथरिन 4% ई.सी. का 1 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 600 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
3. तना छेदक (डेक्टीस टेक्संस)
क्षति का प्रकार – लार्वा तने के बीच में सुरंग बनाकर तने को खा जाता है।
कीट प्रबंधन – ट्राइजोफास 40 ई.सी. का 1 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से या फिर प्रोपेनाफास 40% ई.सी + साइपरमैथरिन 4% ई.सी. का 1 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 600 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
4. तम्बाखू की इल्ली (स्पोडोपटेरा ल्यूटेरा)
क्षति का प्रकार – इल्लिया पत्तियों (Kitnashak for Soyabean Cultivation 2022) के क्लोरोफिल (हरे भाग) को खा जाती है फलस्वरूप पत्तिया सफेद पीली पड़ जाती है और एक प्रकार का जाल बन जाता है।
कीट प्रबंधन – पौधों के संक्रमित भागों को अथवा संपूर्ण क्षतिग्रस्त पौधे को नष्ट कर दें।
- फैरोमोन ट्रैप को 10 ट्रैप प्रति हेक्टेयर की दर से लगाये।
- प्रोपेनोफास 50% ई.सी. का 1 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
5. सफेद मक्खी (बेमीषिया टेबाकी)
क्षति का प्रकार – यह बहुभोजी कीट पत्तियों का रस चूसते है जिससे पत्तिया मुड़ जाती है और पीली पड़ जाती है। यह कीट ही पीला मोजेक रोग फैलाता है।
कीट प्रबंधन – संक्रमण की शुरूआती (Kitnashak for Soyabean Cultivation 2022) अवस्था में पीले पड़े पत्तों को तोड़ दें और गाय के गोबर उपलो से बनी राख से डस्टिंग करें।
- थायोमिथाक्सम 25 डब्ल्यू जी. का संक्रमण के स्तर अनुसार 80 से 100 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से स्प्रे करे।
- पूर्वमिश्रित बीटासायफ्लुथ्रीन 49 + इमिडाक्लोप्रिड 19.81% ओ.डी. का 350 एम.एल. प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
- पूर्वमिश्रित थायो मिथाक्जाम + लैम्बडासायहैलोथरीन का 125 एम.एल. प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें यह सफेद मक्खी के साथ साथ पत्ती खाने वाले कीटों का भी नियंत्रण करता है।
6. चने की इल्ली (हैलीकोबर्पा आर्मीगेरा)
क्षति का प्रकार – लार्वा पत्तियों (Kitnashak for Soyabean Cultivation 2022) को खाता है और यह सामान्यतः अगस्त माह में आता है यह पौधे को पत्ती विहीन कर देता है और फूल एवं फल्ली दोनो को क्षति पहुँचाता है।
कीट प्रबंधन – 50 मीटर के अंतर पर 5 ट्रैप प्रति हेक्टेयर की दर से स्थापित करे।
- क्यूनोलफास 25 ईसी का 1 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से स्प्रे करे।
- लैम्बडासायहैलोथरीन 9 सी .एस. का 300 एम. एल. प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
7. चक्रभ्रंग/गर्डल बीटल (ओवेरिया व्रेबिस)
क्षति का प्रकार – इल्ली और लार्वा दोनो अवस्थाओं में क्षति पहुँचाते है। व्यस्क मादा इल्ली (Kitnashak for Soyabean Cultivation 2022) तने पर रिंग बनाती है, रिंग में छेद बनाकर अण्डे देती है अण्डे से निकलने वाली इल्ली तने को अंदर से खाती है और तना सूख जाता है।
कीट प्रबंधन – संक्रमण स्तर कम होने की दषा में पौधे को उखाड़कर मिट्टी में दबा दें। लाइट ट्रैप का इस्तेमाल करें।
- प्रोपेनाफास 40% ई.सी. का 25 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
- एच.ए.एन.पी.बी. 250 एल. ई. प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
8. सेमील्यूपर (क्राइसोडेक्सिस इन्क्लूडेंस)
क्षति का प्रकार – यह शुरूआती अवस्था और फूल अवस्था में पौधे (Kitnashak for Soyabean Cultivation 2022) को नुकसान पहुँचाती है।
कीट प्रबंधन – रोमोन ट्रैप को 10 ट्रैप प्रति हेक्टेयर की दर से लगाये।
- सीलस थ्युरिजिंएसिंस का 1 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करे।
- इंडोकसाकार्ब 8 ई.सी. का 333 एम.एल. प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
- क्लोरनएन्ट्रानिलिपरोल 5 एस. सी. का 100 एम.एल. प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
9. एनथ्रेकनोज/ फली झुलसन
लक्षण – यह एक बीज एवं मृदाजनित रोग है। रोग की शुरूआती अवस्था में पत्तियों (Kitnashak for Soyabean Cultivation 2022) तने और फली पर गहरे भूरे रंग के अनियमित धब्बे बन जाते है और बाद में यह धब्बे काली संरचनाओं से भर जाते है।पत्तियों एवं षिराओं का पीला-भूरा होना, मुड़ना और झड़ना इस बीमारी के लक्षण है।
रोग प्रबंधन – खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था रखें।बीज को र्कावेंडाजिम + मेंकोजेब 3 ग्राम प्रति किलो बीच की दर से उपचारित करें
- रोग के लक्षण दिखाई देने पर 5 ग्राम प्रति लीटर मेंकोजेब अथवा 1 ग्राम प्रति लीटर र्कावेंडाजिम का छिड़काव करें।
- टेबुकोनाझोल का 625 एम. एल. प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
10. पीला मोजेक
लक्षण – पत्तियों पर असामान्य पीले (Kitnashak for Soyabean Cultivation 2022) धब्बे पड़ जाते है।सक्रंमित पौधे की बढ़वार रूक जाती है और फली भराव कम होता है व दाना छोटा होता है।
रोग प्रबंधन – सक्रंमण कम होने की दषा में पौधे को उखाड़कर फेंक दें।
- थायामिथोक्सम 25 डब्ल्यू. जी. का संक्रमण के स्तर के अनुसार 80 से 100 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से स्प्रे करें।
- पूर्वमिश्रित बीटासायफ़्लुथ्रीन 49 + इमिडाक्लोप्रिड 19.81% ओ.डी. का 350 एम.एल. प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
- पूर्वमिश्रित थायो मिथाक्जाम लैम्बडासायहैलोथरीन का 125 एम.एल. प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें यह सफेद मक्खी के साथ साथ पत्ती खाने वाले कीटों का भी नियंत्रण करता है।
11. चारकोल रोट
लक्षण – यह रोग पानी की कमी, निमेटोड अटैक, मिट्टी के कड़क (Kitnashak for Soyabean Cultivation 2022) होने की दशा में होता है। इसमें नीचे की पत्तिया पीली पड़ जाती है और पौधा मुरझा जाता है।
रोग प्रबंधन – रोग सहनषील किस्मे जैसे जे.एस.-2034, जे.एस.-2029, जे.एस.-9752 का उपयोग करें।
- ट्राइकोडर्मा विरडी से 4 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से बीज उपचारित करें।
- खड़ी फसल में कार्बेनडाजिम 1 ग्राम प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें।
12. बैक्टीरियल ब्लाईट
लक्षण– असामान्य पीले बिंदु पत्तियों (Kitnashak for Soyabean Cultivation 2022) पर पड़ जाते हैं और फिर मृत दिखाई पड़ते है और फिर बड़े काले धब्बे तना और पत्तियों पर दिखाई देते है।
रोग प्रबंधन– कापर फफूँदनाषक का 2 ग्राम प्रतिलीटर या स्ट्रेप्टोसाइक्लिन का 0.25 ग्राम प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें।
सोयाबीन कीट- बैक्टीरियल ब्लाईट
हमें यह बात हमेशा ध्यान रखनी है कि रासायनिक नियंत्रण की शुरुआत तभी करनी है जब की कीट व रोग आर्थिक देहली स्तर को पार कर ले, साथ ही हमें समेकित कीट व रोग प्रबंधन पर ध्यान देना है, जिसकी शरूआत बुवाई से पहले हो जाती है।
जैसे ग्रीष्म कालीन (Kitnashak for Soyabean Cultivation 2022) गहरी जुताई करना, रोग प्रतिरोधक किस्मों का चयन करना, अनुमोदित बीज दर से ज्यादा नही रखना और नत्रजन उर्वरकों का उपयोग नहीं करना और पोटाश की कमी रहने पर पोटाश खादों का उपयोग मिट्टी में सुनिश्चित करना आदि, तभी जाकर हम कीट और रोगों पर विजय प्राप्त कर सकते है।