आपको बता दे की अभी ड्राई फ्रूट की बहुत मांग है जिसके चलते काजू भी उन्ही में से एक है जिसकी मार्केट में कई ज्यादा डिमांड है और यह बहुत ही महगा है जिसके चलते उइसकी खेती कर किसान हो सकते है मालामाल अधिकतर लोग त्योहार में बाजार की मिठाई की जगह अपने नाते-रिश्तेदारों को उपहार स्वरूप ड्राई ड्राई फ्रूट ही देना अधिक पसंद करते हैं। देश में काजू का आयात निर्यात का एक बड़ा व्यापार भी है। देश के कई राज्यों में इसकी खेती की जाती है। आज हम आपको टै्रक्टर जंक्शन के माध्यम से ड्राई फू्रड में सबसे अधिक खाए जाने वाले काजू की खेती की जानकारी आपको दे रहे हैं। आइये जानते है काजू की खेती करने के आसन तरीको के बारे में
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काजू की खेती कैसे करे
काजू की खेती कैसे होती है और पेड़ो से काजू को कैसे तोडा जाता है सब आपको हम सब बतायेगे काजू की व्यावसायिक खेती दिनों-दिन लगातार बढ़ती जा रही है क्योंकि काजू सभी अहम कार्यक्रमों या उत्सवों में अल्पाहार या नाश्ता का जरूरी हिस्सा बन गया है। देश में ही नहीं, विदेशी बाजारों में भी काजू की बहुत अच्छी मांग है। काजू का उपभोग कई तरह से किया जाता है। काजू का प्रयोग अनेक प्रकार की मिठाइयों में किया जाता है। इसके अलावा इसका उपयोग मदिरा बनाने में भी किया जाता है। काजू के छिलके का इस्तेमाल पेंट से लेकर स्नेहक तक में होता है।
काजू का पौधा कैसा होता है

काजू का पेड़ तेजी से बढऩे वाला उष्णकटिबंधीय पेड़ है जो काजू और काजू का बीज पैदा करता है। काजू की उत्पत्ति ब्राजील से हुई है। किंतु आजकल इसकी खेती दुनिया के अधिकांश देशों में की जाती है। सामान्य तौर पर काजू का पेड़ 13 से 14 मीटर तक बढ़ता है। हालांकि काजू की बौनी कल्टीवर प्रजाति जो 6 मीटर की ऊंचाई तक बढ़ता है, जल्दी तैयार होने और ज्यादा उपज देने की वजह से बहुत फायदेमंद साबित हो रहा है। काजू के पौधारोपण के तीन साल बाद फूल आने लगते हैं और उसके दो महीने के भीतर पककर तैयार हो जाता है। बगीचे का बेहतर प्रबंधन और ज्यादा पैदावार देनेवाले प्रकार (कल्टीवर्स) का चयन व्यावसायिक उत्पादकों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है।
काजू की उन्नत किस्मे
काजू की किस्मो के बारे में बात करे तो यह काजू की प्रमुख उन्नत किस्मे है काजू की प्रमुख किस्मों में वेगुरला-4, उल्लाल -2, उल्लाल -4, बी.पी.पी.-1, बी.पी.पी.-2, टी.-40 आदि अच्छी किस्में मानी जाती है।
काजू की खेती के लिए प्रमुख मृदा
काजू की खेती के लिए कैसी मिट्टी चाहिए हजोति है इस बारे में हम आपको प्रमुख जानकारी देंगे वैसे तो काजू की खेती कई प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है लेकिन समुद्र तटीय प्रभाव वाली लाल एवं लेटराइट मिट्टी वाले क्षेत्र इसकी खेती के लिए ज्यादा उपयुक्त रहते हैं। इसके साथ ही मिट्टी का पीएच स्तर 8.0 तक होना चाहिए। काजू उगाने के लिए खनिजों से समृद्ध शुद्ध रेतीली मिट्टी को भी चुना जा सकता है।
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काजू के पोधो का रोपण कैसे करे
काजू के पौधों को वर्षा काल लगाना अच्छा रहता है। तैयार गड्ढों में पौधा रोपने के बाद थाला बना देते हैं तथा थालों में खरपतवार की समय-समय पर निकाई-गुड़ाई करते रहते हैं। जल संरक्षण के किए थालों में सूखी घास का पलवार भी बिछाते हैं।
फलो की तुड़ाई कैसे करे
काजू में पूरे फल की तोड़ाई नहीं की जाती है केवल गिरे हुए नट को एकत्र किया जाता है और इसे धूप में, सुखाकर तथा जूट के बोरों में भरकर ऊंचे स्थान पर रख दिया जाता है। प्रत्येक पौधे से लगभग 8 किलोग्राम नट प्रतिवर्ष प्राप्त होता है। इस प्रकार एक हेक्टेयर में लगभग 10-15 क्विंटल काजू ने नट प्राप्त होते है। जिनको प्रसंस्करण के बाद खाने योग्य काजू प्राप्त होता है।