किसान भाइयो को मालामाल करेंगी मिर्ची की यह उन्नत किस्मे, देंगी प्रति हेक्टेयर 300 से 350 क्विंटल तक उत्पादन, कम खर्चे में होगी बंपर कमाई। अभी मिर्च के भाव कितने बढे है यह तो आप देख ही रहे है। किसान अब परंपरागत खेती के अलावा दूसरी फसलों की खेती की ओर भी ध्यान दे रहे हैं. सरकार का भी जोर परंपरा से हटकर खेती को बढ़वा देने पर है।
मिर्ची की खेती होगा किसानो के लिए फायदे का सौदा
इधर कुछ वर्षों में सब्जियों की खेती का रकबा और उत्पादन, दोनों बढ़ा है. किसानों को इससे बढ़िया मुनाफा भी हो रहा है. ऐसी ही एक सब्जी मिर्च. इसके बिना तो हर सब्जी का स्वाद फीका रहता है। इसकी मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है ऐसे में इसकी खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित होती है, और अगर मिर्च की उन्नत किस्म की खेती की जाए तो मुनाफे में और बढ़ोतरी हो सकती है। आइये जानते है इसकी उन्नत किस्मो के बारे में.
यह भी पढ़े:- R15 का धिंगाना मचा देंगा Pulsar का खतरनाक लुक, कम कीमत में लाजवाब फीचर्स देख दिल होगा गार्डन गार्डन
मिर्ची की कुछ टॉप उन्नत किस्मो के बारे में
काशी अर्ली: जैसा की इसके नाम में ही लिखा अर्ली. नाम के अनुरूप ही मिर्च की ये किस्म लगभग 45 दिनों में तोड़ने लायक हो जाती है जबकि दूसरी संकर किस्मों को 55 से 60 दिन में लग जाता है. फलों की तुड़ाई ही एक सप्ताह के अंतराल पर की जा सकती है. 10 से 12 बार तुड़ाई की जा सकती है. प्रति हेक्टेयर उत्पादन 300 से 350 क्वंविटल तक होता है. हरी मिर्च के लिए इसे सबसे बेहतर किस्म माना जाता है.
तेजस्विनी: आपको बता दे की इस किस्म के मिर्च की फलियां मध्यम आकार की होती है. लंबाई लगभग 10 सेंटीमीटर लंबे होते हैं. फसल 75 दिनों में पहली बार तोड़ने लायक हो जाती है. हरे फल का उत्पादन औसतन 200 से 250 क्विंटल तक होता है.
काशी तेज (CCH-4) F1 हाइब्रिड: बता दे की मिर्च की इस किस्म की खेती किसान सूखे और हरे, दोनों के लिए करते हैं. से बहुत जल्दी लगभग 35 से 40 दिनों में ही तोड़ने लायक हो जाती है. स्वाद में ये बहुत तीखा होता है और फल सड़न रोगों से लड़ने में सक्षम होता है. एक हेक्टेयर में उत्पादन बड़े आराम से लगभग 135 से 140 क्विंटल तक हो जाता है.
पंजाब लाल: यह किस्म गहरी हरी पत्तियों वाली इस किस्म की मिर्च आकार में बौना और रंग में लाल होती है. फसल पकने में लगभग 120 से 180 दिन लग जाते हैं. प्रति हेक्टेयर 110 से 120 क्विंटल मिर्च की पैदावार होती है, सूखने पर 9 से 10 क्विंटल तक होता है.
जाहवार मिर्च 148: यह किस्म जल्द पक जाती है, जो कि कम तीखी मिर्च होती है. इसमें कुर्करा रोग का प्रकोप कम होता है. हरी मिर्च लगभग 100 से 105 दिन में तैयार हो जाती है, तो वहीं लाल लगभग 120 से 125 दिन तैयार होती है. इससे प्रति हेक्टेयर लगभग 85 से 100 क्विंटल हरी और लगभग 18 से 23 क्विंटल सूखी मिर्च प्राप्त हो जाती है।