मड़ई उत्सव पर समाजसेवियों ने उठाए सवाल
Madai Utsav – बैतूल – संस्कृति विभाग ने बैतूल में तीन दिवसीय मड़ई उत्सव आयोजित किया था। यह उत्सव फ्लाप शो रहा। और सरकारी राशि का दुरूपयोग हो गया। इस उत्सव को लेकर समाजसेवियों ने सवाल भी खड़े किए हैं कि जब बोर्ड परीक्षा थी तो कैलेंडर परीक्षा को देखते हुए क्यों नहीं बनाया गया? इसके अलावा खुले मैदान में करने के बजाए इस आयोजन में आडिटोरियम में क्यों नहीं आयोजित किया गया?
हॉकी खिलाड़ी हेमंतचंद्र बबलू दुबे ने मड़ई उत्सव को लेकर सवाल उठाएं हैं। श्री दुबे का कहना है कि मौसम विभाग ने 15 दिन पहले ही बतला था कि 15 मार्च से तेज बारिश, ओले, तेज हवा चलेगी फिर भी आयोजन किया गया। इसके अलावा बोर्ड के एक्जाम को देखकर कैलेंडर क्यों नहीं बनाया गया? क्या यह कार्यक्रम शिवाजी आडिटोरियम में आयोजित नहीं किया जा सकता था?
एकदम सही समाचार प्रकाशित किया | Madai Utsav
यदि वहां आयोजित होता तो कीचड़- पानी से दर्शकों को परेशानी नहीं खड़ी होती। इसके साथ ही मंच- टेंट का खर्चा कम से कम लगता। सांध्य दैनिक खबरवाणी ने एकदम सही समाचार प्रकाशित किया है। बजट को समाप्त करने के लिए यह सब किया गया है। इसके लिए सांध्य दैनिक खबरवाणी को बधाई..
श्री दुबे ने कहा कि कलाकारों की प्रस्तुतियां शानदार और मंत्र मुग्ध कर देने वाली है। वास्तव में कला के इस सुन्दर प्रदर्शन को सरकारी लापरवाही की भेंट चढ़ा दिया गया। हमारे जनजाति बंधुओ, बहनों के बेतूल कि धरती पर अभिनन्दन और स्वागत है। इन जनजातीय कलाकारों का दिल खोलकर स्वागत होना चाहिए था किंतु सरकार के अधिकारियों का ध्यान और कहीं था। सिर्फ बजट को कैसे खत्म किया जाए इस पर फोकस किया गया है।
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गोंडी भाषा को संरक्षित करने वालों की हुई उपेक्षा: मयंक भार्गव | Madai Utsav
मड़ई उत्सव के आयोजन को लेकर जिले के वरिष्ठ पत्रकार मयंक भार्गव का कहना है कि आयोजनकर्ताओं से यह पूछना चाहिए कि जब आदिवासी जनजाति कलाकारों और भाषा को संरक्षित करने के लिए यह कार्यक्रम का आयोजन किया गया तो जो लोग गोंडी भाषा के लिए जिले में काम कर रहे हैं उन्हें इस आयोजन में क्यों नहीं बुलाया गया?
क्या इन्हें यह मालूम है कि जिले में भी गोंडी भाषा के संरक्षण के लिए काम किया जा रहा है। गोंडी भाषा को संरक्षित करने के लिए वरिष्ठ पत्रकार श्री भार्गव द्वारा विश्व का पहला गोंडी भाषा में साप्ताहिक लोकांचल समाचार पत्र प्रकाशित किया जा रहा है।
यह समाचार पत्र जनजातीय एकल विद्यालय सहित जिले में गोंडी भाषा को संरक्षित करने का कार्य कर रहा है। बावजूद इसके आदिवासी संस्कृति को संरक्षित करने के लिए किए गए आयोजन में गोंडी भाषा के लिए काम करने वालों को नहीं बुलाना दुर्भाग्यपूर्ण है।