मशरूम की खेती : आइये आज हम सबसे अच्छे प्रोटीन स्तोत मशरूम की खेती के बारे में जानते है. मशरूम प्रोटीन के अच्छे स्रोत के रूप में जाना जाता है मशरूम अब आम लोगों की थाली में जगह बनाने लगा है। मशरूम की कोरोना काल के बाद से काफी डिमांड बढ़ गई है। मशरूम में मांस से ज्यादा प्रोटीन और पोषक तत्व होते हैं। खास बात यह है कि इसका 90 प्रतिशत हिस्सा पच जाता है।जिसकी वजह से लोग इसे ज्यादा पसंद करते है क्योकि इसमें बहुत ज्यादा मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। जबकि दाल और अन्य प्रोटीन स्रोत का बड़ा हिस्सा पच नहीं पाता है।इसी वजह से ज्यादातर लोग इसे खाना पसंद करते है।
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बाजार में मशरूम की डिमांड बढ़ते हुए देखकर अब कई लोग मशरूम की खेती से जुड़ने के लिए तैयार है और नए नए तरीके ढूंढ रहे है। लेकिन अधिकतर किसानों के सामने यहीं प्रश्न होता है कि मशरूम की खेती कैसे करें इसका सोलुशन हम लेकर आये है। और आपको मशरूम की खेती करने का अचूक उपाय बताते है।
आइये हम समझते है मशरूम की खेती
आपके मन में कुछ इस तरह के सवाल आ रहे होंगे –
(1)मशरूम क्या है।
(2)मशरूम की खेती की ट्रेनिंग कहां से लें?
(3)मशरूम की खेती के लिए जरूरी जलवायु
(4)मशरूम की खेती के लिए कम्पोस्ट तैयार करने की विधि
(5)मशरूम का बीज कहां से खरीदें?
(6)मशरूम की उन्नत किस्में
(7)मशरूम की खेती में लागत और कमाई
(9)मशरूम के प्रसंस्कृत उत्पाद
क्या है मशरूम ?
जैसे की हम जानते है मशरूम एक तरह का कवक पौधा है, लेकिन इसको मांस की तरह देखा जाता है। यह फफूंद द्वारा निर्मित होता है। इसको शाकाहारी पौधा नहीं कह सकते। इसमें सर्वाधिक मात्रा में प्रोटीन और पोषक तत्व मौजूद होते हैं।जिससे इसकी लोकप्रियता अधिक होती है। और किसान लोग इसकी खेती करके अपनी वार्षिक आय बढ़ा सकते है।
मशरूम की खेती की ट्रेनिंग कहां से लें?
अपने आस पास के सभी कृषि विश्वविद्यालयों और अन्य प्रशिक्षण संस्थाओं जैसे कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा किसानों के लिए पूरे वर्ष प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।उनसे संपर्क करके हमलोग मशरूम की खेती के बारे में जान सकते है. मशरूम की खेती के लिए महिलाओं को अधिक प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके अंतर्गत राज्य सरकार प्रदेश के किसानों को मशरूम की खेती के लिए लागत का 50 प्रतिशत अनुदान भी देती है।
मशरूम की खेती के लिए आवश्यक तैयारी और जलवायु
मशरूम की खेती किसान की भूमि ओर वह के मौसम और जलवायु पर आधारीत होती है। मशरूम की खेती के लिए स्थाई और अस्थाई दोनों ही प्रकार के शेड का प्रयोग किया जा सकता है। जिन किसानों के पास धन की कमी है, वह बांस व धान की पुआल से बने अस्थाई शेड का प्रयोग कर अपना व्यवसाय शुरू कर सकते है। बांस व धान की पराली से 30 Χ22Χ12 (लम्बाई Χचौड़ाई Χऊंचाई) फीट आकार के शेड बनाने का खर्च लगभग 30 हजार रुपए आता है। जिसमें मशरूम उगाने के लिए 4 Χ 25 फीट आकार के 12 से 16 स्लैब तैयार की जा सकती हैं। परन्तु अस्थाई शेड की कुछ समय पश्चात मरम्मत करनी पड़ती है। और जिन किसानो के पास धन की कमी नहीं है.वह स्थाई शेड का निर्माण कर सकते है।जिससे की उस शेड की बार बार मरम्मत न करनी पड़े।
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मशरूम की खेती के लिए कम्पोस्ट तैयार करने की विधि
अच्छा कम्पोस्ट तैयार करने के लिए हमें अच्छी गुणवत्ता वाला नया भूसे का का उपयोग करना चाहिए चाहिए जो की बारिश में भीगा न हो । धान की पराली अथवा गेहूं के भूसे के स्थान पर सरसों का भूसा भी प्रयोग कर सकते हैं, लेकिन सरसों के भूसे के साथ मुर्गी खाद का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। अधिक कम्पोस्ट बनाने के लिए सभी सामग्रियों की मात्रा अनुपात में बढ़ाई जा सकती हैं। किसान खाद (कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट) उपलब्ध न होने की अवस्था में यूरिया की मात्रा अनुपात के अनुसार बढ़ा सकते हैं। लेकिन ताजे या कच्चे कम्पोस्ट में नाइट्रोजन की मात्रा लगभग 1.6-1.7 प्रतिशत होनी चाहिए। 100 किलोग्राम कम्पोस्ट खाद की बीजाई के लिए 500-750 ग्राम बीज पर्याप्त रहता है। जिसका प्रयोग करके आप मशरूम की अच्छी तरह से बुवाई कर सकते हो।और अच्छी पैदावार कर सकते हो
मशरूम का बीज कहां से खरीदें
मशरूम की अच्छी गुणवत्ता वाला बीज आपको मिल जायेगा।मशरूम की अधिक पैदावार लेने के लिए बीज शुद्ध व अच्छी किस्म का होना चाहिए। उन्नत किस्म के बीज को सुविधा अनुसार निचे दी गयी प्रयोगशालाओं से प्राप्त किया जा सकता है।
खुम्ब अनुसंधान निदेशालय, सोलन, हिमाचल प्रदेश
डॉ यशवंत सिंह परमार बागवानी व वानिकी विश्वविद्यालय, सोलन (हिमाचल प्रदेश)
पादप रोग विज्ञान विभाग, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार (हरियाणा)
बागवानी निदेशालय, मशरूम स्पॉन प्रयोगशाला, कोहिमा
कृषि विभाग, मणिपुर, इम्फाल,
विज्ञान समिति, उदयपुर (राजस्थान)
क्षेत्रीय अनुसंधान प्रयोगशाला, सीएसआईआर, श्रीनगर (जम्मू एवं कश्मीर),
जवाहर लाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर (मध्य प्रदेश)
इन सरकारी केन्द्रों के अलावा बहुत से निजी व्यक्ति भी मशरूम बीज उत्पादन से जुड़े हैं जो सोलन, हिसार, सोनीपत, कुरूक्षेत्र (हरियाणा), दिल्ली, पटना (बिहार), मुम्बई (महाराष्ट्र) इत्यादि जगहों पर स्थित हैं। इस सफल किसानों से भी मशरूम के बीज ले सकते हैं।
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मशरूम की उन्नत किस्में
यह एक तरह का कवकीय क्यूब होता है।देश के कई राज्यों में मशरूम को कुकुरमुत्ता के नाम से भी जाना जाता हैं। भारत में मशरूम की तीन प्रजातियां प्रचलित है, जिन्हें खाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है।
(1)ढिंगरी मशरूम
मशरूम की यह उन्नत किस्म है। इस किस्म की मशरूम की खेती को करने के लिए सर्दियों के मौसम को उचित माना जाता है। सर्दियों के मौसम में इसे भारत के किसी भी क्षेत्र में ऊगा सकते है। मशरूम की खेती के लिए वायु में नमी की मात्रा अधिक से अधिक होनी चाहिए।सर्दियों के मौसम में समुद्रीय तटीय क्षेत्रों को इसकी खेती के लिए अधिक उपयुक्त माना जाता है। क्योंकि ऐसी जगहों पर हवाओ में नमी की 80% मात्रा पाई जाती है। मशरूम की इस किस्म को तैयार होने में 45 से 60 दिन का समय लगता है।45 से 60 दिनों में आपका ढिंगरी मशरूम तैयार हो जायेगा।
(2)दूधिया मशरूम
यह भी एक अच्छी उन्नत किस्म का मशरूम है। दूधिया मशरूम की खेती के लिए केवल मैदानी इलाको को उपयुक्त मना जाता है। मशरूम की इस किस्म के बीजों के अंकुरण के समय 25 से 30 डिग्री तापमान को उपयुक्त माना जाता है। इसके अलावा मशरूम के फलन के समय इसी वक्त 30 से 35 तापमान की आवश्यकता होती है। इस किस्म की फसल को तैयार होने के लिए 80 प्रतिशत हवा में नमी की आवश्यकता होनी चाहिए।
(3)बटन मशरूम
यह भी एक अच्छी किस्म का मशरूम है। इसे स्वेत बटन मशरूम के नाम से भी जाना जाता है। मशरूम की इस किस्म का इस्तेमाल खाने में सबसे अधिक किया जाता है। श्वेत बटन मशरूम की फसल को तैयार होने के लिए आरम्भ में 20 से 22 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है। मशरूम फलन के दौरान उन्हें 14 से 18 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है। इसकी खेती को अधिकतर सर्दियों के मौसम में किया जाता है, क्योंकि इसके क्यूब को 80 से 85% वायु नमी की आवश्यकता होती है। इसके क्यूब सफेद रंग के दिखाई देते है, जो कि आरम्भ में अर्धगोलाकार होते है।
आइये सबसे अंत में जानते है मशरूम की खेती करने के लिए लागत और मशरूम से कमाई
मशरूम की खेती वाला बिज़नेस आपको अच्छी आमदनी दे सकता है। मशरूम की खेती का बिजनेस काफी बढ़िया मुनाफे वाला है। इसमें लागत का 10 गुना तक का फायदा हो सकता है। मतलब 1 लाख रुपए लगाकर शुरू किए गए बिजनेस से 10 लाख रुपए तक की कमाई हो सकती है। पिछले कुछ सालों में मशरूम की डिमांड में भी तेजी आई है। ऐसे में मशरूम की खेती का बिजनेस काफी फायदेमंद हो सकता है। यह एक ऐसा बिज़नेस है जिसमे लगत कम और अधिक से आदिक मुनाफा कमा सकते हो।