Kuno National Park: नामीबिया से भारत लायी गयी मादा चीता ‘साशा’ की हुई मौत, कुनो पार्क में मचा हड़कंप, जाने वजहदेश से चीतों की इस प्रजाति की विलुप्त होने की कगार पर है जिसको संरक्षित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र से नामीबिया से मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में छह महीने पहले नामीबिया से लाये गए आठ चीतों में से एक मादा चीता ‘साशा’ की गुर्दे की बीमारी के कारण मौत हो गई है. इस मादा चीता की मौत को ‘प्रोजेक्ट चीता’ के लिए बड़ा झटका लगा है. पिछले ही साल इस आठ चीतों को सितंबर महीने में नामीबिया से लाकर उन्हें श्योपुर जिले के कुनो पार्क में रखा गया है.
गुर्दे में संक्रमण से पीड़ित थी ‘साशा’
यह नामीबिया से आयी मादा चीता ‘साशा’ की मौत गुर्दे के संक्रमण के कारण हुई है.इसकी जानकारी मध्य प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक जे एस चौहान दी और साथ ही यह भी बताया कि ‘साशा’ नामीबिया से भारत से आने से पहले से ही गुर्दे की बीमारी से पीड़ित थी. उन्होंने कहा, ‘एक निगरानी दल ने 22 मार्च को साशा को सुस्त पाया जिसके बाद उसे इलाज के लिए एक एक अलग बाड़े में रखा गया।
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नामीबिया से भारत लायी गयी मादा चीता ‘साशा’ की हुई मौत, कुनो पार्क में मचा हड़कंप, जाने वजह
भारत आने से पहले ही था किडनी में संक्रमण
मादा चीता साशा की जाँच के बाद भारतीय वन्यजीव संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और केएनपी प्रबंधन ने साशा के बेहतर इलाज के लिए चीता कंर्सरवेशन फंड, नामीबिया से संपर्क किया. जिसके बाद उन्हें पता चला की 15 अगस्त, 2022 को नामीबिया में लिए गए उसके अंतिम रक्त के नमूने में, पशु का क्रिएटिनिन स्तर 400 था. जो गुर्दे में संक्रमण को दर्शाता है।
साशा को स्वस्थ करने के लिए की दिन-रात मेहनत
मध्यप्रदेश के वन्यजीव विशेषज्ञों और कुनो पार्क के पशु चिकित्सकों ने साशा को पूर्ण रूप से स्वस्थ करने के लिए दिन-रात लगातार कड़ी मेहनत की लेकिन उसे नहीं बचा सकेऔर उनके हाथ सिर्फ और सिर्फ निराशा लगी. उन्होंने बयानमें बताया कि बाकि के सातों चीते पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं. सातों में से तीन नर और एक मादा को उद्यान के खुले वन क्षेत्र में छोड़ दिया गया है और वे ‘पूरी तरह स्वस्थ, सक्रिय और सामान्य तरीके से शिकार कर रहे हैं.’ उनको किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं है।
17 सितम्बर को PM मोदी ने इनको पार्क में छोड़ा था
नामीबिया से पहली बार भारत लाए गऐ इन आठ चीतों – पांच मादा और तीन नर चीते शामिल है। इनको 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में कुनो पार्क के बाड़े में इनको छोड़ा गया था. भारत में अंतिम चीते की मृत्यु वर्तमान छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में 1947 में हुई थी और भूमि पर सबसे तेज दौड़ने वाले जानवर को 1952 में देश में विलुप्त जानवर घोषित कर दिया था, इस लिए भारत में चितो को पुनः बसाने से लिए ये अभियान चलाया गया था।