परंपरागत खेती को छोड़ अमरूद की खेती कर किसान कमा सकते लाखो रुपए, आसान भाषा में समझिये कैसे होती है अमरुद की खेती, अगर आप भी परंपरागत खेती को छोड़कर बागवानी करना चाहते और ज्यादा मुनाफा कामना चाहते है तो आप अमरूद की खेती कर सकते हैं | अगर आप अमरूद की बागवानी करते हैं तो सिर्फ एक हेक्टेयर से ही साल भर में करीब 25 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते और इससे से लगभग 15 लाख रुपये तक मुनाफा कमा सकते है | हालाँकि की बीज अच्छी किस्म की चुने ताकि पैदावार बेहतर हो | इसकी सफल खेती अनेक प्रकार की मिट्टी तथा जलवायु में की जा सकती है। तो आइये जानते है अमरुद की खेती कैसे होती है और किन-किन चीज़ो की आवश्यकता होती है |
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अमरूद की खेती के लिए कैसी होनी चाहिए जलवायु
अमरूद की सफल खेती उष्ण कटीबंधीय और उपोष्ण-कटीबंधीय जलवायु में सफलतापूर्वक की जा सकती है | उष्ण क्षेत्रों में तापमान व नमी के पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहने की वजह से फल वर्ष भर लगते हैं। अधिक वर्षा वाले क्षेत्र इसकी बागवानी के सही नहीं है। अमरूद के लिए गर्म तथा शुष्क जलवायु सबसे सही माना जाता है।
जानिए अमरुद की कुछ किस्मो के बारे में
अमरुद की प्रमुख किस्में जो बागवानी के लिए पायी गयी है जैसे इलाहाबादी सफेदा,पंत प्रभात, सरदार 49 लखनऊ, ललित, सेबनुमा अमरूद, इलाहाबादी सुरखा, बेहट कोकोनट , रेड फ्लेस्ड, ढोलका, नासिक धारदार, आदि किस्में हैं। इलाहाबादी सफेदा बागवानी हेतु उत्तम है।
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अमरूद की खेती के लिए जानिए उपयुक्त मिट्टी
अमरुद की खेती किसी भी उपजाऊ मिट्टी में कर सकते है | इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी को सबसे उचित माना जाता है | क्षारीय मिट्टी में इसके पौधों पर उकठा रोग लगने का खतरा बना रहता है | इसलिए मरुद की खेती के लिए भूमि का मान P.H. 6 से 6.5 के मध्य होना चाहिए |
अमरूद की खेती करने का तरीका
पौधे लगाने का उचित समय जुलाई-अगस्त होता है।पौध रोपण से पहले भूमि को अच्छी तरह जुताई कर लेना चाहिए। पौधों को लगभग 15 फ़ीट की दूरी पर 20 से 25 गड्ढों में 1 किलोग्राम सडी हुई गोबर की खाद और आर्गनिक खाद और ऊपरी मिट्टी मिश्रण में मिलाकर गड्ढे को अच्छी तरह से भर देते हैं। इसके बाद खेत की सिंचाई कर दें ताकि गड्ढे की मिटटी बैठ जाये। इसके बाद जरूरत के अनुसार गड्ढा खोदकर उसके बीचों बीच पौधे को लगाकर चारों तरफ से अच्छी प्रकार दबाकर फिर हलकी सिंचाई कर देते हैं।
अमरूद की खेती के लिए करना होगा कीट नियंत्रण
अमरूद में कीड़े व बीमारी का प्रकोप वर्षा ऋतु में ज्यादा होता है। जिससे पौधों में वृद्धि तथा फलों की गुणवत्ता दोनों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। अमरूद के पेड में मुख्य रूप से छाल खाने वाले कीड़े, फल में अंड़े देनेवाली मक्खी,फल छेदक आदि कीट लगते हैं। इन कीटों के प्रकोप से बचने के लिए नीम की पत्तियों की उबले पानी का छिडकाव करे । आवश्यकता पडने पर कीट लगे पौधे को नष्ट भी किया जा सकता है |
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अमरूद की खेती से कमा सकते अधिक मुनाफा
अमरुद के पेड़ रोपाई के दो से तीन वर्ष के बाद फलो की तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते है | फूल आने के लगभग 120-140 दिन के बाद फल पकने शुरू हो जाते हैं। जब फलों का रंग हरा से हल्का पीला पड़ने लगे तब उसे तोड़ते है । एक एकड़ के खेत में करीब 500 पेड़ो को लगाया जा सकता है |अच्छे अमरुद का बाज़ारी भाव 40 से 50 रूपए प्रति किलो होता है | जिससे किसान भाई एक एकड़ के खेत में अमरुद के पेड़ो से लाखो की कमाई आसानी से कर सकते है |