Popular Front of India Ban: भारत को 2047 तक इस्लामिक राष्ट्र बनाने का सपना देखने वाले कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इडिया (Popular Front of India) पर लगे प्रतिबंध के साथ ही इस पर सियासत भी शुरू हो गई है. हैदराबाद के सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने इसकी कड़ी निंदा की है. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि वह पीएफआई जैसे संगठन के पक्षधर नहीं हैं, लेकिन किसी भी संगठन पर बैन के खिलाफ हैं.
Popular Front of India Ban
ओवैसी ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि भारत चुनावी निरंकुश की तरफ बढ़ रहा. भारत फासीवाद के करीब पहुंच चुका है. भारत में यूएपीए के तहत अब हर मुस्लिम युवा को पीएफआई के पर्चे के साथ गिरफ्तार किया जाएगा. उन्होंने ये बातें ट्वीट कर कहीं.
ओवैसी ने ट्वीट कर कहा कि अदालत के बेदाग होने के पहले मुसलमानों को सालों जेल में बिताना पड़ता है. उन्होंने कहा कि मैंने हमेशा यूएपीए जैसे काले कानूनों का विरोध किया है. यह स्वतंत्रता के सिद्धांत का उल्लंघन है. यह संविधान के बुनियादी ढांचे के खिलाफ है.
ओवैसी का बयान
ओवैसी केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन का जिक्र करते हुए कहा कि एक पत्रतार को गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया और उसे अदालत से रिहा होने में 2 साल लग गए. ध्यान रहे कि कप्पन एक दलित महिला से रेप की घटना को कवर करने हाथरस जा रहे थे उसी दौरान उन्हें यूएपीए के तहत अरेस्ट किया गया था. करीब 2 साल जेल में बिताने के बाद उन्हें हाल ही में जेल से रिहा किया गया है.
ओवैसी ने यह भी सवाल उठाया कि पीएफआई पर तो प्रतिबंध लगा दिया गया लेकिन कभी किसी दक्षिणपंथी संगठन पर क्यों नहीं प्रतिबंध लगाया गया.
ओवैसी ने कहा कि हालांकि मैंने हमेशा पीएफआई के विचारों का विरोध किया है, लेकिन मैं पीएफआई पर बैन का समर्थन नहीं कर सकता. हैदराबाद के सांसद ने कहा कि कुछ लोगों के अपराध की सजा पूरे संगठन को नहीं दी जा सकती है.पूरे संगठन को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने बुधवार को पीएफआई और उससे जुड़े 8 संगठनों पर 5 साल के लिए बैन लगा दिया है. सरकार का मानना है कि पीएफआई का स्पष्ट रूप से आतंकी संगठनों से संबंध है. यह संगठन चोरी-छिपे समाज से विशेष वर्ग को कट्टरपंथी बनाने का काम कर रहा है.