Health Tips: शुगर पेशेंट्स को रखना होगा आखो ध्यान, नहीं तो हो सकती है ये शिकायत, डायबिटीज के मरीजों को कई तरह की बीमारियों का खतरा रहता है. डॉक्टर्स के अनुसार 40 साल की उम्र के बाद मधुमेह से पीड़ित व्यक्तियों को डायबबिटिक रेटिनोपैथी की आशंका होती है. आएये जानें इसके बारे में…
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डायबिटीज के मरीजों को रखना होगा इन बातो का ध्यान
डायबिटीज के मरीजों को अपनी आंखों का खास ख्याल रखना पड़ता है. दरअसल, डायबिटिक रेटिनोपैथी से रेटिना को नुकसान पहुंचता है. इसमें रेटिनोपैथी से रेटिना को रक्त पहुंचाने वाली महीन वाहिकाएं क्षतिग्रस्त होने लगती हैं. अगर इसका समय पर इलाज न किया जाए तो व्यक्ति अंधा भी हो सकता है. शुगर पेशेंट्स को डायबिटिक रेटिनोपैथी हो सकती है. इस बीमारी की शुरुआती अवस्था में मरीज को यह महसूस भी नहीं होता है कि उसे किसी तरह की परेशानी है.
डायबिटीज के मरीजों के लिए ये जानना जरुरी
- शुगर पेशेंट्स में ग्लूकोज का स्तर बढ़ने से आंखों की रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त होने लगती हैं. साथ ही रेटिना में सूजन होने लगती है, जिसे मैक्यूलर एडिमा कहते हैं. दरअसल, मैक्यूला ही स्पष्ट देखने में मदद करता है.
- मरीज की रेटिना में सूजन से लीकेज भी हो सकती है. यह रेटिना ऑक्सीजन की आपूर्ति को बाधित कर देता है. कुछ मामलों में क्षतिग्रस्त रक्त नलिकाओं के फटने से रेटिना के मध्य भाग में रक्त फैल जाता है. इस स्थिति को ‘डायबिटिक मैक्युलोपैथी’ कहते हैं. इससे व्यक्ति को चीजें धुंधली नजर आने लगती हैं.
- आंखों के अंदर सूजन होने पर ही मरीज को कुछ असामान्य लगता है. रेटिना की जांच के बाद चिकित्सक रेटिनोपैथी का पता कर सकते हैं.
- आंखों की जांच के बाद बीमारी का पता लगने पर चिकित्सक चार माह में बुलाकर एंटी वेजेस इंजेक्शन देते हैं. यह इंजेक्शन
- नसों में लीकेज होने पर दिया जाता है. ज्यादातर तीन इंजेक्शन एक माह के अंतराल पर लगाया जाता है.
- नसों में बहुत ज्यादा लीकेज है तो उसे लेजर से ठीक किया जाता है. लेजर से जो असामान्य लीकेज प्वाइंट बन गए हैं, उन्हें बंद किया जाता है.
- यदि पर्दे के पीछे बहुत अधिक रक्त जमाव हो जाए तो आंख के पीछे का पर्दा सिकुड़ सकता है.
- रेटिनोपैथी के कारण व्यक्ति अंधेपन का भी शिकार हो सकता है. बचाव के लिए मधुमेह नियंत्रण में रखें. मधुमेह रोगी नियमित आंखों की जांच कराते रहें.