News Desk India: सोयाबीन के पिले रोग को रोकने का आसान तरीका देखे, सोयाबीन खरीफ फसल में बोई जाने वाली प्रमुख फसल है। देश के अधिकतर किसान खेती पर निर्भर है, साथ ही सोयाबीन हमारे देश की अर्थव्यवस्था सुधारने में प्रमुख योगदान भी है।
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अच्छी पैदावार के लिए करे यह काम
मानसून के मौसम में सोयाबीन की खेती अभी भी जारी है, इस समय ज्यादातर जगहों पर सोयाबीन के फूल आने शुरू हो गए हैं। मानसून के इस समय फसल में रोग का प्रभाव अधिक रहता है। किसान को सोयाबीन की अच्छी फसल के लिए, ताकि उसमें कोई बीमारी न हो, वैज्ञानिकों के सुझाव पर उचित दवा का छिड़काव करना आवश्यक है। वैसे तो सोयाबीन की फसल में कई तरह के रोग होते हैं, लेकिन यहां हम जानेंगे कि किसान सोयाबीन की फसल में पीत मोज़ेक रोग को कैसे नियंत्रित कर सकते हैं।
नियंत्रण करने से दमदार होगी पैदावार
सोयाबीन उगाने वाले किसान सोयाबीन की अच्छी वृद्धि के लिए प्रयास कर रहे हैं। हालांकि, पीले मोज़ेक रोग वर्तमान में राज्य में सोयाबीन की फसल को नष्ट कर रहा है। इससे सोयाबीन किसानों के लिए इस बीमारी पर समय से नियंत्रण पाना जरूरी हो गया है। सोयाबीन में इस रोग के नियंत्रण से किसान अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं।
संक्रमण फैलाती है सफ़ेद मक्खी
पीले मोज़ेक रोग को नियंत्रित करने के लिए, सबसे पहले आपको सफेद मक्खी को नियंत्रित करने की आवश्यकता है। पीत मोज़ेक रोग मुख्य रूप से सफेद मक्खी द्वारा पूरे खेत में फैलता है। ऐसे में जरूरी है कि सबसे पहले सफेद मक्खी को रोका जाए। तो आज हम विस्तार से जानेंगे कि सफेद मक्खी क्या है, यह पीत मोज़ेक रोग कैसे फैलता है और इसे कैसे नियंत्रित किया जा सकता है।
सफेद मक्खियाँ खुले खेतों और ग्रीनहाउसों की कई फसलों में आम हैं।
लार्वा और वयस्क पौधे के रस का सेवन करते हैं और पत्ती की सतह, तने और फलों पर मधुरस या हनीड्यू छोड़ते हैं।
- सफेद मक्खी से सोयाबीन की पत्तियों पर पीले धब्बे व राख जैसी फफूंद प्रभावित ऊतकों पर बन जाती है।
- पत्तियां विकृत हो सकती हैं, घुमावदार हो सकती हैं या प्याले का आकार ले सकती हैं।
- काली, मोटी फफूँदी विकसित हो जाती है।
- सोयाबीन के पौधे का विकास रुकना या अवरुद्ध विकास।
देखे इसके लक्षण
पीले मोजेक रोग का प्रभाव शुरू में कुछ पौधों पर दिखाई देता है, जिसके बाद सफेद मक्खी के कारण यह रोग धीरे-धीरे पूरे खेत में फैल जाता है और देखते ही देखते भयानक रूप धारण कर लेता है। पीले मोज़ेक रोग का लक्षण सोयाबीन के पौधे का पीलापन है। पूरा पौधा ऊपर से पीला हो जाता है और फिर पूरे खेत में फैल जाता है। इसके बाद इस रोग से पौधे नरम हो जाते हैं और पौधे भी मुरझा जाते हैं। कई बार पत्ते भी खुरदुरे हो जाते हैं।
अगर आपको लगता है कि आपकी सोयाबीन की फसल में पीत मोजैक रोग के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो जल्द ही इस पर नियंत्रण करने की जरूरत है। नहीं तो आपकी फसल को नुकसान होने का खतरा अधिक होता है। जब सोयाबीन की फसल पीली मोज़ाइक रोग (गहरे हरे-पीले धब्बे दिखाई देने) से संक्रमित दिखाई दे, तो आप उन संक्रमित पौधों को उखाड़ कर अलग से एक छोटा गड्ढा खोदकर उन पौधों को खोदे गए गड्ढे में डाल दें। मिट्टी डालकर बंद कर दें।
देखे इसके उपाय
- सोयाबीन की फसल में लगने वाले इस घातक बीमारी को फैलने से रोकने के लिए किसान भाई अपने खेत में अलग-अलग जगहों पर पीले चिपचिपे जाल लगा सकते हैं।
- साथ ही वैज्ञानिक सलाह देते हैं कि, संक्रमित पौधों को उखाड़कर खेत से दूर गड्ढा खोदकर दफना दें।
- किसान भाई कृषि वैज्ञानिकों व कृषि क्षेत्रों में जानकारी रखने वाले लोगों से या कृषि सेवा केंद्र संचालक की सलाह से कीटनाशकों का छिड़काव कर सकते हैं।
- इसके अलावा पीला मोजेक रोग की रोकथाम के लिए मुख्य सलाह यह है की, किसान भाई अगले सीजन से सोयाबीन की नई विकसित रोगप्रतिरोधी उन्नत किस्मों की बुवाई कर सकते है।
नियंत्रण के लिए यह काम करे किसान
- फसल में सक्रंमण की रोकथाम के लिए 1. थायामिथोक्सम 25 डब्ल्यू. जी. का संक्रमण के स्तर के अनुसार 80 से 100 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से स्प्रे करे
- पूर्वमिश्रित बीटासायफ़्लुथ्रीन 49 + इमिडाक्लोप्रिड 19.81% ओ.डी. का 350 एम.एल. प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
- पूर्वमिश्रित थायो मिथाक्जाम लैम्बडासायहैलोथरीन का 125 एम.एल. प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें यह सफेद मक्खी के साथ साथ पत्ती खाने वाले कीटों का भी नियंत्रण करता है।