मोदी सरकार ने 2016 में 500 और 1000 रुपये के नोट बैन कर दिए थे। जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में 58 याचिकाएं दायर की गईं, इस पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने हामी भर दी है। साथ ही 5 सदस्यीय संविधान पीठ का गठन किया। इस मामले की सुनवाई अब 12 अक्टूबर को होगी। भारत सरकार शुरू से ही इस फैसले को भ्रष्टाचार के खिलाफ बता रही, जबकि याचिकाकर्ताओं का दावा है कि ये फैसला गलत था। इससे कालाधन रखने वालों पर कोई फर्क नहीं पड़ा।
अब 12 अक्टूबर को होगी इस मामले की सुनवाई
दरअसल पीएम मोदी ने 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी लागू कर दी थी। जिसके तहत 500 और 1000 के पुराने नोट चलन से बाहर हो गए। इससे जनता को काफी ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इसके तुरंत बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई, जिस पर 15 नवंबर 2016 को तत्कालीन चीफ जस्टिस टी. एस. ठाकुर ने सुनवाई की थी। उस दौरान उन्होंने कहा था कि सरकार ने एक मकसद के साथ नोटबंदी की है, जो तारीफ करने योग्य है। हम देश की आर्थिक नीति में दखल नहीं देना चाहते हैं, लेकिन लोगों को जो चिंता हुई उस पर सरकार हलफनामा दाखिल करे। याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि नोट बदलने और निकालने में जो रोक-टोक हुई थी, वो लोगों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।
यह भी पढ़िए – अटल पेंशन योजना में 1 अक्टूबर से बड़ा बदलाव ,इनकम टैक्स पेयर नहीं हो सकेंगे इस योजना में शामिल

ऐसे में इस पर विचार करना जरूरी है। अब कोर्ट ने 12 अक्टूबर को सुनवाई की तारीख तय की है। उस दिन सभी पक्षों को सुना जाएगा।इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने नोटबंदी में कानूनी गलतियों को निकाला और सुप्रीम कोर्ट के सामने उसे रखा। उस दौरान कोर्ट ने कोई आदेश तो नहीं जारी किया था, लेकिन 16 दिसंबर 2016 को उसे 5 जजों की संविधान पीठ को भेज दिया।