10-15 लीटर प्रतिदिन दूध देती है ये गाय, देखिये कौन सी है वह गाय और भी खासियतें कांकरेज गाय एक देशी नस्ल की गाय है जो भारत में पाई जाती है। इसकी विशेषता है कि यह देश के विभिन्न भागों में विभिन्न नामों से पुकारी जाती है। यह गाय अपने दूध उत्पादन की क्षमता के लिए जानी जाती है और विभिन्न प्रकार के भारतीय पशुपालकों के लिए महत्वपूर्ण है।
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कांकरेज गाय की पहचान और विशेषताएं
- दूध की उच्च उत्पादन क्षमता: कांकरेज नस्ल की गायें एक ब्यान्त में औसतन 1738 लीटर तक दूध देती हैं, जिसका मतलब है कि यह उच्च दूध उत्पादन की नस्ल है।
- रंग और आकार: कांकरेज गाय के मवेशी सिल्वर-ग्रे, आयरन ग्रे या स्टील ग्रे रंग के होते हैं। इनकी सींग मजबूत होती है और वीणा की आकृति में बाहर और ऊपर की ओर मुड़ी होती है।
- बड़े और वजनी नस्ल: कांकरेज गाय मवेशियों की सबसे भारी नस्लों में से एक है। इनका वजन औसतन 320 से 370 किलोग्राम तक होता है।
- दूध में मात्रा: कांकरेज गाय के दूध में फैट यानी वसा की मात्रा न्यूनतम 2.9 प्रतिशत और अधिकतम 4.2 प्रतिशत होती है।
- ऊंचाई और शरीर की लंबाई: प्रौड़ गायों की ऊंचाई औसतन 125 सेमी और शरीर की लंबाई औसतन 123 सेमी होती है।
- दूध की क्षमता: ये गायें दिन में औसतन 6 से 10 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती हैं।
- विभिन्न नामों से पुकारा जाना: कांकरेज गाय को विभिन्न नामों से भी पुकारा जाता है, जैसे वगाडि़या, वागड़, बोनई, नागर, और तालाबड़ा आदि।
कांकरेज गाय की कीमत
गायों की कीमत उनकी उम्र, नस्ल, स्थान और दूध उत्पादन की क्षमता के आधार पर तय की जाती है। कांकरेज गाय की कीमत आमतौर पर 25 हजार रुपये से लेकर 65 हजार रुपये तक हो सकती है। कुछ राज्यों में इसकी कीमत और भी अलग हो सकती है।
कांकरेज गाय के रोग और बीमारियाँ
कांकरेज गाय को कई प्रकार की बीमारियों और रोगों से भी लड़ना पड़ सकता है। इसके लिए निम्नलिखित है:
- बीमारियाँ: सादी बदहजमी, तेजाबी बदहजमी, खारी बदहजमी, कब्ज, अफारे, मोक/मरोड़/खूनी दस्त, पीलिया, आदि।
- रोग: तिल्ली का रोग (एंथ्रैक्स), एनाप्लाज़मोसिस, अनीमिया, मुंह खुर रोग, मैगनीश्यिम की कमी, सिक्के का जहर, रिंडरपैस्ट (शीतला माता), ब्लैक क्वार्टर, निमोनिया, डायरिया, थनैला रोग, पैरों का गलना, और दाद आदि।
कांकरेज गाय की देखभाल
कांकरेज गाय की देखभाल करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:
- अच्छा प्रबंधन: गाभिन पशुओं का अच्छे से प्रबंधन करने से उनके बछड़े उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं और दूध की मात्रा भी बढ़ती है।
- टीकाकरण: बछड़े को सिफारिश के अनुसार टीके लगवाना न भूलें।
- आवास की व्यवस्था: गाय के लिए उचित आवास की व्यवस्था करें, ताकि वह सुरक्षित रह सके।
इस तरीके से, कांकरेज गाय एक महत्वपूर्ण पशु है जो दूध उत्पादन की क्षमता के साथ-साथ पशुपालन के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
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