Homeधर्मतिरुपति में बाल दान करने के पीछे क्या है कहानी?

तिरुपति में बाल दान करने के पीछे क्या है कहानी?

तिरुपति में बाल दान करने के पीछे क्या है कहानी?

भक्त आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में जाते हैं और देश के सबसे धनी माने जाने वाले इस मंदिर में अपने बाल दान करते हैं। क्या आप जानते हैं इसके पीछे क्या मान्यता है?

तिरुपति में बाल दान करने के पीछे क्या है कहानी?
बाल दान करते हुए भक्त

इस परंपरा के पीछे एक पौराणिक मान्यता है कि इस दान के पीछे का कारण यह है कि भगवान वेंकटेश्वर कुबेरजी से लिया गया अपना कर्ज चुकाते हैं। ऐसा माना जाता है कि भक्त यहां जितना बाल दान करते हैं, उससे 10 गुना अधिक धन भगवान आपको लौटाते हैं। कहा जाता है कि जो कोई भी यहां आकर अपने बाल दान करता है, उस पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है। यहां पुरुष ही नहीं महिलाएं भी मन्नत पूरी होने पर बाल दान करती हैं।

तिरुपति में बाल दान करने के पीछे क्या है कहानी?

मंदिर में बाल दान करने के पीछे एक और कहानी है। इसके अनुसार प्राचीन काल में एक बार भगवान बालाजी के विग्रह पर चींटियों का पहाड़ बना हुआ था। तभी यहाँ एक गाय आती थी और दूध देने वाली चीटियों के पहाड़ पर चली जाती थी। यह देख गाय के मालिक को बहुत गुस्सा आया और उसने गाय के सिर पर कुल्हाड़ी से वार कर दिया। इस वार से बालाजी घायल हो गए थे और उनके कई बाल भी झड़ चुके थे। फिर यहां माता नीला देवी ने अपने बाल काटकर भगवान बालाजी के घाव पर रख दिए। नीला देवी ने जैसे ही घाव पर अपने बाल रखे, उनका घाव ठीक हो गया।

इससे प्रसन्न होकर नारायण ने कहा कि बाल शरीर की शोभा का सबसे महत्वपूर्ण अंग है और देवी आपने मेरे लिए इसका बलिदान दिया है। अब से जो कोई मेरे लिए बाल को त्याग देगा, उसकी मैं हर इच्छा पूरी करूंगा। इसी मान्यता के चलते बालाजी के मंदिर में बाल दान करने की परंपरा चली आ रही है।

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यहां जो भी व्यक्ति अपने पाप और बुराइयों को छोड़कर जाता है। यानी कि केश के रूप में उनका त्याग करके जाता है। मां लक्ष्मी उनके सभी दुखों को हर लेती हैं। इसलिए लोग अपने बालों को अपनी बुराइयों के रूप में यहीं छोड़ देते हैं ताकि भगवान नारायण स्वामी और महालक्ष्मी उन पर हमेशा कृपा करें। यहां रोजाना करीब 20 हजार लोग अपने बाल दान करके जाते हैं। इस काम को करने के लिए यहां 600 नाइयों को मंदिर समिति ने रखा है।

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