Wheat Variety K1616: विज्ञानियों ने गेहूं की के-1616 गेंहू किस्म की खोज जिससे बहुत कम पानी में 30 से 35 क्विंटल प्रति एकड़ में होगी पैदाबार और…कानपुर में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के विज्ञानियों ने गेहूं की के-1616 प्रजाति विकसित कर ली है अब बिना सिंचाई गेहूं की पैदावार कम दिन में संभव होगी और अगले सत्र से बीज भी उपलब्ध होंगे।
Wheat Variety K1616
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसएवि) के विज्ञानियों को बड़ी सफलता मिली है। उन्होंने के-1616 नाम से गेहूं की ऐसी प्रजाति विकसित की है, जो बिना सिंचाई किए ही 30 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार देगी। इस किस्म के गेंहू के बीज से बहुत से किसनो को मिलेगा लाभ क्यों की देश में बहुत से ऐसे झेत्र है जहा पर पर्याप्त पानी की मात्रा उपलब्ध नहीं है तो वह पर गेंहू की बहुत कम होता है पानी की वजह से पर विज्ञानिको ने इस गेहू की किस्म का उप्पादन करके बिना पानी वाले क्षेत्रों की मुश्किल हल कर दी है इस से किसानो को बहुत लाभ मिलेंगे मात्र एक एकड़ भूमि में पर्याप्त गेंहू उपज होगी |
कम सिंचाई वाले क्षेत्र के किसानों को फायदा
कम सिंचाई वाले क्षेत्र के किसानों को फायदा यही नहीं, अगर इसे एक या दो बार सिंचाई मिल जाए तो 50 से 55 क्विंटल तक उपज मिलेगी। इससे कम सिंचाई वाले क्षेत्र के किसानों को फायदा होगा और बारिश न होने पर भी फसल बर्बाद नहीं होगी। भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से इस प्रजाति को उत्तर प्रदेश में बोआई के लिए अधिसूचित (रिलीज) किया गया है।
Wheat Variety K1616 विकसित
Wheat Variety K1616 विकसित सीएसएवि के रवी शस्य अनुभाग के प्रभारी अधिकारी व वरिष्ठ गेहूं अभिजनक डा. विजय कुमार यादव ने बताया कि के-1616 प्रजाति, दो प्रजातियों एचडी-2711 व के-711 को मिलाकर संकर प्रजाति के तौर पर विकसित की गई है।
केवल खेत में पलेवा करके बोई
किसानो के लिए वैज्ञानिक विभाग के विज्ञानियों डा. सोमवीर सिंह, डा. एलपी तिवारी, डा. वाइपी सिंह, पीएन अवस्थी, पीके गुप्ता के सहयोग से वर्ष 2016-17 से लगातार चार वर्षों तक पूरे देश में इस प्रजाति के ट्रायल किए गए। इसमें सामने आया कि यह प्रजाति केवल खेत में पलेवा करके बोई जा सकती है।
गेहूं की नई प्रजाति खासियत
- रोगरोधी, दाना भी बड़ा और लंबा।
- के-1616 प्रजाति में काला, पीला, भूरा पर्ण रोग लगने का खतरा नहीं है।
- दाना बड़ा और लंबा होता है।
- इसमें आम गेहूं की प्रजातियों की तरह 11.77 प्रतिशत प्रोटीन है।
- प्रजाति 120 से 125 दिन में पककर तैयार होती है, जबकि और प्रजातियां 125 से 130 दिन में पकती हैं।
- इसे प्रदेश में कहीं भी बोया जा सकता है और कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी अच्छी उपज मिलेगी।
- अगले वर्ष से इसके बीज मिलने शुरू होंगे।
शोध परिणामों के आधार पर कुछ माह पूर्व इस प्रजाति को रिलीज कराने के लिए केंद्र सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के पास भेजा गया था। अब इसे भारत के राजपत्र में अधिसूचित किया गया है।