Wheat Variety: किसानो को मालामाल कर देगी गेहूं की ये उन्नत किस्म, प्रति एकड़ 65 से 75 क्विंटल की पैदावार, जाने इन किस्मो में बारे में। गेहूं रबी सीजन की सबसे ज्यादा बोई जाने वाली फसल है. धान की कटाई के बाद किसान गेहूं की खेती की तैयारी शुरू कर देते हैं. दूसरी फसलों की ही तरह गेहूं की खेती में भी अगर उन्नत किस्मों का चयन किया जाए को किसान ज्यादा उत्पादन के साथ-साथ ज्यादा मुनाफा भी कमा सकते हैं. किसान इन किस्मों का चयन समय और उत्पादन को ध्यान में रखकर कर सकते हैं।
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पूसा तेजस गेहूं के किस्म के बारे में Pusa Tejas Wheat Variety

पूसा तेजस गेहूं की एक उन्नत और अद्वितीय किस्म है, जो किसानों को बेहतर उत्पादन और मोटी कमाई की संभावना प्रदान करती है। इस आलेख में हम पूसा तेजस गेहूं की खेती के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देंगे जिससे कि आप इस किस्म की सफल खेती कर सकें।
पूसा तेजस गेहूं की खासियत के बारे में Pusa Tejas wheat Variety

पूसा तेजस एचआई 8759 गेहूं किस्म ने अपनी विशेषताओं के कारण बहुत सी आँखों पर तमाचा मारा है। यह किस्म मध्य प्रदेश के किसानों के लिए खास रूप से उपयुक्त है और इसके बोने गए बीजों से आप 65 से 75 क्विंटल तक प्रति हेक्टर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। इसकी खासियत यह है कि यह अच्छी क्वालिटी के अनाज प्रदान करती है, और 112 दिनों में ही फसल तैयार हो जाती है।
Wheat Variety: किसानो को मालामाल कर देगी गेहूं की ये उन्नत किस्म, प्रति एकड़ 65 से 75 क्विंटल की पैदावार, जाने इन किस्मो में बारे में
पूसा तेजस गेहू को बोने का तरीका
पूसा तेजस गेहूं की बुवाई का तरीका ध्यानपूर्वक अपनाया जाना चाहिए ताकि आपको बेहतर पैदावार मिल सके। इसे मार्च महीने में बोना जा सकता है, और बोने जाने वाले बीजों की मात्रा 20-25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखी जा सकती है। बीजों को 20 सेमी की दूरी पर बोना जाता है। बीजों के मध्य वर्गाकार दूरी से पौधों को प्रत्येक पौधे के लिए पर्याप्त जगह मिलती है।

पूसा तेजस गेहूं की होगी तगड़ी पैदावार
गेहूं की उन्नत खेती के लिए उर्वरकों का सही प्रयोग करना महत्वपूर्ण है। खाद और उर्वरकों के सही समानुपात से पौधों का सही विकास होगा और आपको बेहतर पैदावार मिलेगा। खरीफ की फसल के बाद भूमि में 150 किलोग्राम नत्रजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस, और 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में दी जानी चाहिए। पूसा तेजस गेहूं की फसल की देखभाल बहुत महत्वपूर्ण है ताकि आपको बेहतर उत्पादन प्राप्त हो सके। समय-समय पर निगरानी करें, खरपतवार प्रबंधन में सतर्क रहें, निराई-गुड़ाई का ध्यान रखें, और कीट नियंत्रण और रोग प्रबंधन के उपायों का पालन करें तो अच्छा लाभ लिया जा सकता है